धीरे-धीरे बंद होने चाहिए दो हजार के नोट: गुरुमूर्ति
स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक गुरुमूर्ति ने मोदी सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि बड़े नोटों को वापस लेने से आर्थिक व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी।
नई दिल्ली, प्रेट्र : संघ विचारक एस गुरुमूर्ति ने दो हजार के नोट को धीरे धीरे वापस लेने की सलाह दी है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच सौ और हजार के पुराने नोट वापस लेने के कदम को वित्तीय पोखरण करार दिया है। साथ ही कहा कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में आमूलचूल बदलाव आएंगे। इस प्रक्रिया की शुरुआत रियल एस्टेट क्षेत्र में कीमतों में गिरावट से शुरू होगी।
स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक गुरुमूर्ति ने मोदी सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि बड़े नोटों को वापस लेने से आर्थिक व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। उनकी नजर में ज्यादा नकदी रहने पर लोग गैर जरूरी चीजें भी खरीदते हैं, जिससे बिना सोचे-समझे खर्च की प्रवृत्ति बढ़ती है। नोटबंदी से इसमें जबरदस्त बदलाव आएगा। दो हजार के नोट लाने से काले धन को बढ़ावा मिलने की आशंका पर उन्होंने कहा, 'पांच सौ और हजार के नोट छापने के लिए दो महीने का वक्त पर्याप्त नहीं है। लेकिन, दो हजार के नोट को चरणबद्ध तरीके से वापस लिया जाना चाहिए।
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नोटबंदी काला धन का एकमात्र समाधान नहीं है। इसके लिए व्यापक एजेंडे की जरूरत है। काला धन एक मनोवैज्ञानिक बीमारी है, जिसमें बदलाव जरूरी है। चौदह लाख करोड़ मूल्य के नोट के बैंकिंग सिस्टम में आने पर लोग अपनी संपत्ति भी घोषित करेंगे। इससे कर के तौर पर 20-30 हजार करोड़ का राजस्व आ सकता है।'
ज्ञात हो कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को बहुत बड़ी प्रबंधकीय विफलता करार दिया था। गुरुमूर्ति ने कहा कि संप्रग सरकार द्वारा 2004 से अंजाम दी गई प्रबंधकीय विफलता को ठीक करने के लिए ही प्रधानमंत्री मोदी ने यह कदम उठाया है। उन्होंने नोटबंदी को वित्तीय पोखरण करार देते हुए कहा कि पोखरण में परमाणु परीक्षण के बाद ही अमेरिका ने भारत की ओर देखना शुरू किया था।