दो मंत्रालयों ने किया विभिन्न योजनाओं को मिलाने का फैसला, जनता के फायदे से जुड़ा है मकसद
दोनों मंत्रालयों के बीच योजनाओं को मिलाने का फैसला खास तौर पर केंद्र प्रायोजित प्रधानमंत्री फार्मालाइजेशन आफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (पीएम-एफएमई) स्कीम पर केंद्रित है। इस अखिल भारतीय योजना को 2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्षो के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की राशि से क्रियान्वित किया जाना है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। संसाधनों के अधिकतम उपयोग और लोगों को अधिकतम लाभ पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार के दो प्रमुख मंत्रालयों खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अपनी विभिन्न योजनाओं को मिलाने का फैसला किया है ताकि खाद्य प्रसंस्करण में स्वयं सहायता समूह उद्यमियों की मदद की जा सके।
दोनों मंत्रालयों के बीच योजनाओं को मिलाने का फैसला खास तौर पर केंद्र प्रायोजित प्रधानमंत्री फार्मालाइजेशन आफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (पीएम-एफएमई) स्कीम पर केंद्रित है। इस अखिल भारतीय योजना को 2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्षो के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की राशि से क्रियान्वित किया जाना है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की मदद करने के लिए पीएम-एफएमई स्कीम को ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पिछले साल 29 जून को लांच किया था। यह योजना आत्मनिर्भर भारत अभियान और वोकल फार लोकल अभियान का हिस्सा है। पीएम-एफएमई का लक्ष्य लोगों से जुड़े वर्तमान सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को अपग्रेड करने के लिए वित्तीय, तकनीकी और कारोबारी मदद मुहैया करना है।
सरकरी बयान के मुताबिक, मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं को मिलाना सरकार का प्रमुख एजेंडा है। इस प्रक्रिया में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय की दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ने पीएम-एमएमई को लागू करने के लिए साथ मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की है।