ट्रिपल तलाक की जंग जीतने वाली महिला का अब हो रहा सामाजिक बहिष्कार
इशरत कहती हैं, 'सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से मुझे इस घर में रहने से डर लगता है। लेकिन मैं सिर्फ अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहती हूं।'
कोलकाता, जेएनएन। तीन तलाक के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने वालीं इशरत जहां को उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले(एक साथ तीन तलाक पर छह महीने की रोक) के बाद उनके साथ-साथ दूसरी मुस्लिम महिलाओं की परेशानियां कम हो जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इशरत का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है।
इशरत ने कोर्ट में तो तीन तलाक के खिलाफ जंग जीत ली, लेकिन अब कोर्ट के बाहर उनका संघर्ष शुरू हो गया है जो लंबा चलेगा। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, इशरत को उनके ही रिश्तेदारों और पड़ोसियों की आलोचना और बदजुबानी का शिकार होना पड़ रहा है। उनका कहना है कि आसपास के लोग उनको 'गंदी औरत' और इस्लाम विरोधी कहते हैं।
हावड़ा की रहने वालीं इशरत के पति ने 2014 में दुबई से फोन करके उन्हें तीन तलाक दे दिया था। इशरत उन पांच याचिकाकर्ताओं में से एक हैं, जिनकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है। खबर के मुताबिक, इशरत ने बताया, 'सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुझ पर ताने मारने वालों की बाढ़-सी आग गई है। ससुराल वाले और पड़ोसी मेरे चरित्र को लेकर तरह-तरह की बातें करते हैं। मुझे गंदी औरत कहते हैं। कई पड़ोसियों ने तो मुझसे बात करना भी बंद कर दिया है। मुझे मर्दों की दुश्मन और इस्लाम विरोधी तक कहा जा रहा है।'
इशरत कहती हैं, 'सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से मुझे इस घर में रहने से डर लगता है। लेकिन मैं सिर्फ अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहती हूं, उनके अच्छे भविष्य के लिए जीना चाहती हूं। मुझे अब बेचारी बनकर नहीं रहना है। मेरा मानना है कि हर किसी को अपने अधिकारों के लिए जंग लड़नी चाहिए।' बता दें कि इशरत की वकील नाजिया इलाही खान को भी सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है।
इश्रत कहती हैं कि लोगों के बदले रवैये को देखकर उन्हें काफी दुख हुआ है। वह समझ गई है कि लोगों के नजरिये में कोई बदलाव नहीं होने वाला है। समाज तब तक नहीं बदलेगा, जब तक लोग नहीं बदलना चाहेंगे। समाज जिस दिन मेरे जैसी महिलाओं की मदद करने के बारे में सोचना शुरू कर देता, उसी दिन से बदलाव शुरू हो जाएगा।
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