Move to Jagran APP

आदिवासियों की जागरूकता: छत्तीसगढ़ के वनांचल की 44 पंचायतें कोरोना की दूसरी लहर से अछूती

छत्तीसगढ़ के धुर दक्षिण में बसे सुकमा जिले के कोंटा ब्लाक की 44 पंचायतें ऐसी हैं जिन्हें कोरोना की दूसरी लहर छू भी नहीं पाई है। वनांचल में बसे इस इलाके के आदिवासियों की जागरूकता शहर के लोगों के लिए मिसाल बन रही है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 11:56 PM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 11:56 PM (IST)
आदिवासियों की जागरूकता: छत्तीसगढ़ के वनांचल की 44 पंचायतें कोरोना की दूसरी लहर से अछूती
इन गांवों में बिजली, सड़क और मोबाइल नेटवर्क नहीं, पर आदिवासी हैं सतर्क।

सतीश चांडक, सुकमा। छत्तीसगढ़ के धुर दक्षिण में बसे सुकमा जिले के कोंटा ब्लाक की 44 पंचायतें ऐसी हैं, जिन्हें कोरोना की दूसरी लहर छू भी नहीं पाई है। वनांचल में बसे इस इलाके के आदिवासियों की जागरूकता शहर के लोगों के लिए मिसाल बन रही है। आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की सीमा से सटे कोंटा ब्लाक में कुल 61 पंचायतें हैं।

loksabha election banner

45 साल से ऊपर के सभी 16 हजार 630 लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी

17 पंचायतों में कोरोना के इक्का-दुक्का मामले सामने आए, पर उन्हें बढ़ने नहीं दिया गया। इस ब्लाक के अंतर्गत कुल 250 गांव हैं। सभी गांव नक्सल प्रभावित हैं और अधिकांश पहुंच विहीन भी हैं। कोंटा ब्लाक के इन गांवों में सड़क, बिजली और मोबाइल नेटवर्क जैसी सुविधाएं नहीं हैं। नदी-नाला पार कर आदिवासी पैदल ही चलते हैं। ऐसे इलाके में आदिवासियों की पहल पर 45 साल से ऊपर के सभी 16 हजार 630 लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है।

लाॅकडाउन से पहले ही ग्रामीणों ने सील कर दिए गांव, सीमाओं पर पहरेदार बिठा दिए

प्रशासन ने बाद में लाॅकडाउन जैसे उपाय अपनाए, इधर ग्रामीणों ने कोरोना की दूसरी लहर की सूचना मिलते ही सरपंच, पटेल गांव के अन्य प्रमुख लोगों की बैठक बुलाई और अपने-अपने गांवों में आने-जाने के सभी रास्ते ब्लाक कर दिए। सीमाओं पर पहरेदार बिठा दिए गए। इस दौरान कोई भी सामाजिक, वैवाहिक या अन्य आयोजन नहीं होने दिया। कोरोना का खतरनाक आंध्र वैरिएंट इसी रास्ते से आ सकता है, पर आदिवासी सतर्क हैं।

हाट बाजार करा दिए बंद, सभी का करवाया टीकाकरण 

बुर्कलंका इस ब्लाक का सबसे बड़ा साप्ताहिक बाजार है। इसे बंद कराने के लिए प्रशासन के आदेश की जरूरत नहीं पड़ी। यहां से सीमा के पार आंध्र प्रदेश और ओडिशा में मजदूरी करने लोग जाते हैं। गांवों में नाकेबंदी के बाद जो मजदूर लौटे उन्हें गांव के बाहर आइसोलेशन में भेज दिया। मेडिकल टीम को बुलाकर चेकअप कराया गया फिर गांव में प्रवेश की अनुमति दी गई। इस जागरूकता का कमाल यह रहा कि कोरोना की दूसरी लहर वनांचल से दूर रही।

पहुंच विहीन गांवों में पहुंची वैक्सीन 

अति पिछड़े कोंटा ब्लाक के दर्जनों गांव पहुंच विहीन हैं। कुछ रास्ते बाइक पर और बाकी नदी-नाला पहाड़, जंगल पारकर पैदल इन गावों तक पहुंचा जा सकता है। इसके बावजूद ग्रामीणों ने पहल की तो कोरोना की वैक्सीन यहां पहुंच गई। टीकाकरण और कोरोना जांच का काम साथ चल रहा है। कोरोना का लक्षण दिखाई देते ही संबंधित को कोविड सेंटर में आइसोलेट कर उपचार किया जा रहा है। वैक्सीन को लेकर ग्रामीणों में उत्साह है।

सुकमा जिले के 70 हजार लोगों का टीकाकरण

प्रशासन ने जागरूकता अभियान चलाया। आदिवासियों ने खुद लाॅकडाउन कर दिया। टीकाकरण में हमारी टीम ने बहुत मेहनत की। अब तक जिले के 70 हजार लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है। गांवों में क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं, ताकि बाहर से आने वाला सीधे गांव के संपर्क में न जाए। नाकेबंदी और कोरोना जांच से संक्रमण रोकने में काफी मदद मिली है। ग्रामीणों का बहुत सहयोग मिल रहा है- विनीत नंदनवार, कलेक्टर, सुकमा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.