साइकिल से गिनीज रिकॉर्ड बनाने निकले बंशीलाल, 18 दिनों में नापेंगे 6000 किमी
बंशी ने कहा कि वह रिकॉर्ड बनाकर मैं दुनिया के सामने यह साबित करना चाहता हूं कि पक्के इरादे से कोई भी मंजिल मिल सकती है।
कांकेर, राजेश शुक्ला। 'वो अपने हाथों को पतवार भी कर सकता है, हौसला है तो नदी पार भी कर सकता है।' नामचीन शायर राहत इंदौरी की ये पंक्तियां, युवा बंशीलाल नेताम पर सटीक बैठती हैं। दरअसल, बंशीलाल में जज्बा और जुनून है। वह गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराने को बेताब हैं। देश के गोल्डन कॉरिडोर यानी स्वर्णिम चतुर्भुज की 6000 किलोमीटर की दूरी को साइकिल से 18 दिनों में नापने का बंशी का इरादा पक्का है।
इससे पूर्व यह रिकॉर्ड प्रीतमपुरा दिल्ली के देवांशु शिवनानी के नाम था। देवांशु के पहले न्यूजीलैंड के टिम चिटटोक ने 24 दिन में गोल्डन कॉरिडोर नापा था। बंशीलाल औसतन रोज 333 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे।
खुद को साबित करने की मंशा
बंशी ने कहा कि वह रिकॉर्ड बनाकर मैं दुनिया के सामने यह साबित करना चाहता हूं कि पक्के इरादे से कोई भी मंजिल मिल सकती है। गुरुवार को अपनी खास साइकिल लेकर ट्रेन से दिल्ली रवाना होने के पहले बंशीलाल ने बताया कि दिल्ली से ही वह यात्रा की शुरुआत करेंगे और जयपुर, मुंबई, गोवा, बेंगलुर, चेन्नई, कटक, विशाखापत्तनम और कोलकाता होते हुए समापन दिल्ली में ही करेंगे। बंशीलाल के मुताबिक, उनके मित्र गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरी करने में लगे हैं। संभवत: दिसंबर के प्रथम सप्ताह में उनकी यात्रा शुरू हो जाएगी।
दो बार घूम चुके पूरा भारत
बंशीलाल 2017 में मोटर साइकिल से भारत भ्रमण कर चुके हैं। इस यात्रा में कोंडागांव के ज्योति शंकर बोस भी उनके साथ थे। 2003 में आम साइकिल से भारत के सभी राज्यों, प्रमुख शहरों, राजधानियों की 22 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर चुके बंशीलाल ने बताया कि इस बार वह जिस साइकिल से लक्ष्य हासिल करने निकले हैं, उसका वजन सिर्फ 6 किलो है।
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