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ट्राइबल टूरिज्म सर्किट में जुड़ेंगे ऐतिहासिक और धार्मिक तीर्थस्थल, जनजाति को मिलेगी पहचान

मध्य प्रदेश सरकार स्वदेश दर्शन योजना के तहत ट्राइबल टूरिज्म को बढ़ावा दे रही है। सरकार ट्राइबल बाहुल्य जिलों के ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों को जोड़ने पर काम कर रही है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 13 May 2019 10:42 PM (IST)Updated: Mon, 13 May 2019 10:42 PM (IST)
ट्राइबल टूरिज्म सर्किट में जुड़ेंगे ऐतिहासिक और धार्मिक तीर्थस्थल, जनजाति को मिलेगी पहचान
ट्राइबल टूरिज्म सर्किट में जुड़ेंगे ऐतिहासिक और धार्मिक तीर्थस्थल, जनजाति को मिलेगी पहचान

उदयपुर, जेएनएन। राज्य सरकार स्वदेश दर्शन योजना के तहत ट्राइबल टूरिज्म सर्किट (TSP) क्षेत्र के जिलों के ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों को जोड़ने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए उदयपुर, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों के प्राचीन, धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण किया जाएगा। साथ ही इन स्थलों को पर्यटन के लिए विकसित किया जाएगा। इसके लिए 117 करोड़ रुपए की योजनाओं के प्रस्ताव भेजे गए हैं।

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पर्यटन विभाग उदयपुर की उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने बताया कि ट्राइबल टूरिज्म सर्किट में डूंगरपुर जिले में बादल महल, फतेहगढ़ी, मुरला गणेश, देवसोमनाथ, नागफनी, चूंडावाड़ा, आशापुराधाम निठाउवा, विजवामाता धाम, बेणेश्वर धाम, मुरला गणेश, गलियाकोट क्षेत्र में 41.38 करोड़ के विकास कार्य किए जाएंगे। जबकि बांसवाड़ा जिले में त्रिपुरा सुंदरी, मानगढ़, कागदी पिकअप व्यू, भीमकुंड, मंगलेश्वर, चाचाकोटा, जोगनियामाता को पर्यटन के लिए आकर्षक बनाया जाएगा।

उदयपुर जिला होगा आकर्षण का केंद्र

इधर, उदयपुर जिले में उदयपुर जिले के ऋषभदेव, सलूंबर महल, फुलवारी की नाल, जयसमंद, लेक पार्क के लिए करीब 27.88 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसके अलावा प्रतापगढ़ जिले में शामिल धरियावद की सीतामाता सेंचुरी, प्रतापगढ़ के गौतमेश्वर, गेंगेश्वर और जाखम बांध को भी विकसित किया जाएगा। इसके लिए पर्यटन विभाग की ओर से प्रस्ताव बनाकर भेजे गए हैं और उम्मीद की जा रही है कि लोकसभा चुनाव के बाद इन प्रस्तावों पर वित्तीय मंजूरी मिल जाएगी।

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, जनजाति को मिलेगी पहचान

इस योजना से जहां आदिवासी क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और उदयपुर के जनजाति क्षेत्र की पहचान ट्राइबल टूरिस्ट प्लेस के रूप में विकसित होगी। यहां आने वाले पर्यटक यहां के जनजाति के रीति-रिवाज और संस्कृति को विश्व पटल पर स्थापित करेंगे।

वागड़ में चाचाकोट, माहीडेम, गलियाकोट, नागफनी, देवसोमनाथ सहित करीब एक दर्जन धार्मिक पर्यटन स्थल उपेक्षित हैं। यहां पर अभी तक सरकार की ओर से विकास करने के लिए कोई कार्य नहीं किया गया है। ऐसे में इन स्थलों को लेकर विशेष ट्राइबल ट्यूरिस्ट प्लान बनाया गया है। इस प्लान के तहत इन स्थलों पर देशी और विदेश पर्यटन को आकर्षित करने के लिए प्रयास किए जाएंगे।

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