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भारत की पहली घरेलू एमआरएनए वैक्सीन का परीक्षण फरवरी से होगा शुरू, जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स की ओमिक्रोन से निपटने की भी तैयारी

देश की पहली मैसेंजर एमआरएनए वैक्सीन के फरवरी में मनुष्यों पर परीक्षण शुरू होने की उम्मीद है। खास बात यह कि यह वैक्सीन पूरी तरह देश में ही विकसित की गई है।पुणे स्थित जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स ने एमआरएनए वैक्सीन के दूसरे चरण का डाटा जमा कर दिया है।

By Amit SinghEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 07:34 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 07:39 PM (IST)
भारत की पहली घरेलू एमआरएनए वैक्सीन का परीक्षण फरवरी से होगा शुरू, जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स की ओमिक्रोन से निपटने की भी तैयारी
एमआरएनए वैक्सीन का परीक्षण फरवरी से होगा शुरू (जागरण.काम, फाइल फोटो)

नई दिल्ली, एएनआइ: कोरोना से जंग के लिए भारत को एक और हथियार मिलने जा रहा है। पहली मैसेंजर एमआरएनए वैक्सीन के फरवरी में मनुष्यों पर परीक्षण शुरू होने की उम्मीद है। खास बात यह कि यह वैक्सीन पूरी तरह देश में ही विकसित की गई है।पुणे स्थित जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स ने एमआरएनए वैक्सीन के दूसरे चरण का डाटा जमा कर दिया है और तीसरे चरण का डाटा तैयार करने के लिए लोगों को भर्ती कर लिया है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया (डीसीजीआइ) की विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) जल्द ही आंकड़ों की समीक्षा कर सकती है।

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जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स ने तैयार की वैक्सीन

सूत्रों ने कहा कि जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स ने ओमिक्रोन वैरिएंट के लिए भी एमआरएनए वैक्सीन विकसित की है। इसकी प्रभावकारिता (एफीकेसी) और इम्यूनोजेनेसिटी का परीक्षण जल्द ही मनुष्यों पर किया जाएगा।इससे पहले सितंबर 2021 के महीने में, जेनोवा ने एक प्रेस बयान जारी कर अपने टीकों के परीक्षणों के बारे में जानकारी दी थी। भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने जेनोवा द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन एचजीसीओ-19 के लिए दूसरे चरण और तीसरे चरण अध्ययन प्रोटोकाल को मंजूरी दी थी। यह भारत की पहला एमएनआरए आधारित कोरोना वैक्सीन है।

सीडीएससीओ ने क्लीनिकल डाटा किया प्रस्तुत

जेनोवा ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), भारत सरकार के राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण (एनआरए) को पहले चरण के अध्ययन का अंतरिम क्लीनिकल डाटा प्रस्तुत किया था। वैक्सीन विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने इस डाटा की समीक्षा की थी। समीक्षा में पाया कि यह वैक्सीन प्रतिभागियों के लिए सुरक्षित, सहनीय और इम्यूनोजेनिक रही। कंपनी ने अपने डाटा में परीक्षण स्थलों की संख्या का भी उल्लेख किया है। भारत में इसका दूसरे चरण का परीक्षण लगभग 10-15 साइट और तीसरे चरण का परीक्षण 22-27 साइटों पर किया जा रहा है। जेनोवा इस वैक्सीन के लिए डीबीटी-आइसीएमआर की क्लीनिकिल परीक्षण नेटवर्क साइटों का उपयोग कर रही है। एमआरएनए वैक्सीन न्यूक्लिक एसिड टीकों की श्रेणी से संबंधित हैं, जो शरीर के भीतर इसके खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने के लिए रोग पैदा करने वाले वायरस या रोगजनक से आनुवंशिक सामग्री का उपयोग करती है।


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