संशोधित मोटर वाहन बिल से संतुष्ट नहीं परिवहन विशेषज्ञ
परिवहन विशेषज्ञों ने मोटर वाहन अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों को अपर्याप्त बताया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मोटर वाहन अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों को परिवहन विशेषज्ञों ने अपर्याप्त बताया है। उनका कहना है कि सड़क सुरक्षा पर सरकार ने वाहन कंपनियों तथा ट्रांसपोर्टरों के आगे घुटने टेक दिए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऑटोमोबाइल कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों के दबाव में सरकार ने ड्राइविंग के समय मोबाइल फोन के इस्तेमाल, शराब पीकर गाड़ी चलाने तथा ओवरसाइज वाहन चलाने से संबंधित दंडात्मक प्रावधानों को हल्का कर दिया है। ऐसे में संशोधनों से कोई खास फर्क पड़ेगा, इसमें संदेह है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह ही मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2016 को मंजूरी दी है। इसमें मौजूदा मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की 223 धाराओं में से 68 धाराओं में परिवर्तन करने तथा 28 नई धाराएं जोड़ने का प्रस्ताव है। इसके अलावा थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के दावों एवं सेटलमेंट की प्रक्रिया में परिवर्तन के लिए अनुच्छेद 11 में संशोधन का प्रस्ताव है। जबकि अनुच्छेद 10 को पूरी तरह समाप्त करने की बात है।
सरकार का दावा है कि संशोधनों का मकसद यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों को ज्यादा कड़ा दंड देना है। ताकि हर साल होने वाले पांच लाख सड़क हादसों तथा इससे होने वाली सवा लाख मौत के आंकड़ों को आधा किया जा सके।
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विशेषज्ञ इन संशोधनों से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि कुछ संशोधन तो ठीक हैं, लेकिन कुछ संशोधनों में दबाव साफ दिखाई देता है। उदाहरण के लिए गाड़ी चलाते वक्त फोन पर बात करने के लिए मात्र 500 रुपये का प्रस्तावित दंड अपर्याप्त है। इसी तरह ओवरसाइज ट्रकों के संचालन पर केवल 5000 रुपये के जुर्माने को उचित नहीं माना जा सकता है।
इस संबंध में इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग (आइएफटीआरटी) का कहना है कि मोबाइल फोन पर बात करते हुए गाड़ी से किसी को कुचल देना यातायात उल्लंघन का कोई सामान्य मामला नहीं है। बल्कि यह जानबूझकर की जाने वाली आपराधिक लापरवाही है। लिहाजा इसके लिए मोटर एक्ट में भी आइपीसी की तरह हत्या का केस चलना चाहिए।
इस संबंध में फाउंडेशन ने 5 अगस्त को दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में हुए हादसे का जिक्र किया है। इसमें मोबाइल पर बात कर रही दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर ने दस वर्षीय बालक को कुचलकर दिया था। पुलिस ने इस मामले को भी हमेशा की तरह लापरवाह और खतरनाक ड्राइविंग में डाल दिया और प्रोफेसर को तुरंत जमानत मिल गई।
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कुछ ऐसा ही मामला ओवरलोड और ओवरसाइज ट्रकों का है। इनका संचालन मुख्यत: ऑटोमोबाइल कंपनियां अपने वाहनों की ढुलाई के लिए करती हैं। आइएफटीआरटी के संयोजक एसपी सिंह के अनुसार, 'अतिरिक्त लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई वाले ये दैत्याकार ट्रक एक से ज्यादा लेन घेर कर चलते हैं। धीमी गति से और अक्सर डगमगा कर चलने वाले ये वाहन न केवल दूसरे वाहनों के लिए खतरा पैदा करते हैं, बल्कि यातायात को भी बाधित करते हैं।