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Indian Railways: आने वाले समय बीना के सौर ऊर्जा संयंत्र से पैदा होने वाली बिजली से दौड़ेंगी ट्रेनें, जानें क्‍या होगा फायदा

इसका फायदा रेलवे को तो होगा ही बल्कि कोयला आधारित देश के उन बिजली संयंत्रों के आसपास रहने वाले लोगों को भी होगा जो कोयला जलने से निकलने वाले धुएं और राख से परेशान हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 06:15 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 06:15 AM (IST)
Indian Railways: आने वाले समय बीना के सौर ऊर्जा संयंत्र से पैदा होने वाली बिजली से दौड़ेंगी ट्रेनें, जानें क्‍या होगा फायदा
Indian Railways: आने वाले समय बीना के सौर ऊर्जा संयंत्र से पैदा होने वाली बिजली से दौड़ेंगी ट्रेनें, जानें क्‍या होगा फायदा

भोपाल, राज्‍य ब्‍यूरो। रेलवे की ट्रेनें अब या तो कोयले, डीजल या बिजली से चलती रही है। कुछ ही दिनों अब सौर ऊर्जा संयंत्र से पैदा होने वाली बिजली से ट्रेनें दौड़ेंगी। भोपाल से 173 किमी दूर बीना में सौर ऊर्जा संयंत्र बिजली उत्पादन के लिए पूरी तरह तैयार है। देर है तो सिर्फ फीता कटने का। यह शुभ कार्य जिस दिन होगा, उसी दिन से ट्रेनें सौर ऊर्जा से तैयार होने वाली बिजली से दौड़ने लगेंगी।

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पर्यावण और मानव जीवन के लिए फायदेमंद 

इसका फायदा रेलवे को तो होगा ही, बल्कि कोयला आधारित देश के उन बिजली संयंत्रों के आसपास रहने वाले लोगों को भी होगा, जो कोयला जलने से निकलने वाले धुएं और राख से परेशान हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि कोयला आधारित बिजली की मांग घटेगी तो कोयला कम जलेगा और कार्बन उत्सर्जन कम होगा। यह पर्यावरण और मानवीय जीवन के लिए सबसे बड़ा फायदा होगा। 

बीएचईएल ने बनाया है संयंत्र

यह संयंत्र भारत हैवी इलेक्टि्रकल्स लि. (भेल) भोपाल द्वारा बनाया गया है। रेलवे ने भेल प्रबंधन को संयंत्र के लिए जमीन उपलब्ध कराई है। 

रेलवे का ही होगा संयंत्र 

आने वाले सालों में संयंत्र रेलवे का ही होगा। अभी कुछ सालों तक संयंत्र का रखरखाव भेल प्रबंधन करेगा, उसके बाद रेलवे को दे देगा। 

यह चल रही तैयारी 

संयंत्र के शुभारंभ की तैयारियां जोरों पर हैं। बीना रेलवे स्टेशन से संयंत्र तक जाने वाले मार्ग को सजाया जा रहा है। अंदरुनी स्तर पर चर्चा है कि संयंत्र का शुभारंभ रेल मंत्री पीयूष गोयल कर सकते हैं। ऐसा नहीं हो पाया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दिल्ली से संयंत्र का ऑनलाइन शुभारंभ कर सकते हैं। इस संबंध में रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि आने वाले समय में जल्द ही संयंत्र से बिजली का उत्पादन चालू हो जाएगा। 

इसे भी जान लीजिए 

-1.7 मेगावाट क्षमता का है सौर ऊर्जा संयंत्र 

-5008 सौर पैनल लगे हैं संयंत्र में 

-1.40 करोड़ रपये की बिजली सालाना कम खरीदनी पड़ेगी रेलवे को 

-37 हजार 153.87 वर्गमीटर जगह पर बना है प्लांट 

-24.82 लाख यूनिट बिजली सालाना बनेगी इसमें 

-25-25 केवी के दो ट्रांसफार्मर के जरिए ओवरहेड लाइन में सप्लाई होगी संयंत्र से बिजली 

-25 हजार वोल्ट में बदलेगी संयंत्र से सप्लाई होने वाली बिजली 

-1 रुपये सालाना पट्टा शुल्क के हिसाब से रेलवे ने भेल को दी है जमीन 


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