पब्लिक वाई-फाई की सिफारिशों पर सीओएआइ को आपत्तियां
मोबाइल कंपनियों के शीर्ष संगठन सीओएआइ का कहना है कि इससे कर्ज के बोझ से दबे टेलीकॉम उद्योग पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है।
नई दिल्ली [प्रेट्र]। देश में पब्लिक वाई-फाई के विस्तार के लिए टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई की ताजा सिफारिशों पर टेलीकॉम ऑपरेटरों के संगठन ने आपत्ति जताई है। मोबाइल कंपनियों के शीर्ष संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआइ) का कहना है कि इससे कर्ज के बोझ से दबे टेलीकॉम उद्योग पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है।
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने साइबर कैफे के मौजूदा नियमों की तर्ज पर पब्लिक डाटा ऑफिस एग्रीगेटर (पीडीएओ) के लिए सिफारिश की है। पीडीएओ के रूप में नई कंपनियां पिछले दौर के पीसीओ की तरह पब्लिक डाटा ऑफिस (पीडीओ) खोल सकेंगी। सिफारिशों के अनुसार जैसे साइबर कैफे पंजीकरण लेकर इंटरनेट सेवाएं देते हैं, वैसे ही पीडीओए को दूरसंचार विभाग में पंजीकरण के बाद वाई-फाई इंटरनेट सेवाएं देने की अनुमति दी जाए।
मोबाइल कंपनियों के शीर्ष संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआइ) के डायरेक्टर जनरल राजन एस. मैथ्यूज ने दूरसंचार सचिव को भेजे पत्र में कहा है कि लाइसेंस के बिना इंटरनेट सेवाएं बेचने का प्रस्ताव मौजूदा लाइसेंसिंग व्यवस्था को पूरी तरह अनदेखा करना है। ये सिफारिशें स्पेक्ट्रम और इन्फ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश करने वाली टेलीकॉम कंपनियों के लिए नुकसानदायक हैं। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है।
सीओएआइ अप्रैल 2017 से ही पब्लिक वाई-फाई सेवाओं के ट्राई के सुझावों का विरोध कर रही है। उसने पांच जुलाई को भेजे पत्र में ट्राई की सिफारिशों पर निराशा जताई थी और कहा था कि इन्हें लागू करने से लाइसेंस लेकर सेवाएं देने वाली टेलीकॉम कंपनियों और बिना लाइसेंस पब्लिक वाई-फाई सेवाएं देने वाली कंपनियों के बीच लेवल फील्ड नहीं रहेगा।