42 साल बाद खुला उत्तरकाशी का ये रोमांचक पर्यटन स्थल, अब आप भी ले सकेंगे रोमांच का मजा
गर्तांगली जाने को मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डीबीएस खाती ने दी 27 सितंबर को एक दिन की विशेष अनुमति...
उत्तरकाशी (शैलेंद्र गोदियाल)। रोमांच के शौकीन 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित गर्तांगली की सैर कर सकेंगे। इस दिन 30 पर्यटकों का पहला दल गर्तांगली जाएगा। भारत-चीन सीमा पर जाड़ गंगा घाटी में स्थित सीढ़ीनुमा यह मार्ग दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार है। करीब 300 मीटर लंबी यह गली एक दौर में भारत-तिब्बत व्यापार का प्रमुख मार्ग हुआ करती थी। 17वीं सदी में पेशावर से आए पठानों ने चट्टान को काटकर यह मार्ग बनाया था।
वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध से पहले व्यापारी इसी रास्ते से ऊन, चमड़े से बने वस्त्र व नमक लेकर तिब्बत से बाड़ाहाट (उत्तरकाशी का पुराना नाम) पहुंचते थे। युद्ध के बाद इस मार्ग पर आवाजाही बंद हो गई, लेकिन सेना की आवाजाही जारी रही। वर्ष 1975 से सेना ने भी इस रास्ते का इस्तेमाल करना बंद कर दिया। तकरीबन 42 साल से मार्ग का रखरखाव न होने के कारण वर्तमान में इसकी सीढ़ियां और उनके किनारे लगी लकड़ियों की सुरक्षा बाड़ भी खराब हो चुकी हैं। हालांकि, सुखद यह कि अब राज्य सरकार इस मार्ग को दुरुस्त करने के लिए सक्रिय हुई है। बीते अप्रैल में प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के निर्देश पर जिलाधिकारी, पर्यटन अधिकारी व गंगोत्री नेशनल पार्क के अधिकारियों ने भैरवघाटी के निकट लंका से करीब ढाई किलोमीटर पैदल चलकर गर्तांगली का निरीक्षण किया था।
जुलाई में गर्तांगली तक पहुंचने वाले मार्ग की मरम्मत के लिए शासन 19 लाख रुपये भी स्वीकृत कर दिए गए। हालांकि, गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में आने के कारण अभी वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने विधिवत रूप से गर्तांगली जाने अनुमति तो नहीं दी है। लेकिन, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डीबीएस खाती ने विश्व पर्यटन दिवस के लिए विशेष परिस्थिति में एक दिन के लिए अनुमति दी है। उत्तरकाशी में ट्रैकिंग से जुड़ी संस्था वेयर ईगल डियर के संचालक तिलक सोनी ने बताया कि दिल्ली, मुंबई, अलीगढ़ आदि स्थानों के 30 से अधिक पर्यटक पहली बार गर्तांगली जाएंगे। जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि गर्तांगली को दोबारा खोलने का उद्देश्य पर्यटकों को यह अहसास कराना है कि कभी कैसे जोखिमभरे रास्तों से जीवन चला करता था। बताया कि विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर गर्तांगली की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर वाइल्ड लाइफ बोर्ड को भेजी जाएगी।
1965 से नहीं हुई मरम्मत: ग्राम पंचायत हर्षिल की प्रधान 75 वर्षीय बसंती देवी बताती है कि वर्ष 1965 में आखिरी बार लोक निर्माण विभाग ने गर्तांगली की मरम्मत की थी। वर्तमान में यह मार्ग पांच से अधिक स्थानों पर क्षतिग्रस्त है। यहां इसे दुरुस्त कर पर्यटन का प्रमुख आकर्षण बनाया जा सकता है।
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