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कुछ याद उन्‍हें भी कर लो जो लौट के घर न आए...

याकूब मेमन के हिस्से में आई फांसी के बाद 1993 मुंबई ब्लास्ट के जख्म एक बार फिर ताजा हो गए हैं। 12 मार्च 1993 को मुंबई में आतंक का पहला हमला हुआ था। 13 सीरियल धमाकों ने इस शहर की पहचान बदल दी थी।

By anand rajEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2015 07:50 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2015 07:59 AM (IST)
कुछ याद उन्‍हें भी कर लो जो लौट के घर न आए...

नई दिल्ली। याकूब मेमन के हिस्से में आई फांसी के बाद 1993 मुंबई ब्लास्ट के जख्म एक बार फिर ताजा हो गए हैं। 12 मार्च 1993 को मुंबई में आतंक का पहला हमला हुआ था। 13 सीरियल धमाकों ने इस शहर की पहचान बदल दी थी। एक के बाद एक 13 धमाके हुए और 257 लोग मौत की नींद सो गए।

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Recall: तस्वीरों से जानिए, मुंबई बम धमाकों से जुड़ी 10 खास बातें...

अयोध्या से तैयार हुई 1993 मुंबई ब्लास्ट की पृष्ठभूमि
16 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद ही 1993 मुंबई ब्लास्ट की पृष्ठभूमि तैयार हुई। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद पूरे देश में दंगे का माहौल हो गया था। लेकिन मायानगरी मुंबई में बड़े पैमाने पर दंगे धधक रहे थे। दंगों की एक श्रृंखला सी तैयार हो रही थी मुंबई में। इस विनाश लीला में मुख्य किरदार दाऊद इब्राहिम, याकूब मेमन और उसके भाई टाइगर मेमन ने निभाया और 1993 मार्च में मुंबई ब्लास्ट ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया।

एक के बाद एक इन जगहों पर हुए धमाके

  • -माहिम सेतु में मछुआरा कालोनी
  • -झवेरी बाजार
  • -प्लाजा सिनेमा
  • -सेंचुरी बाज़ार
  • -कथा बाज़ार
  • -होटल सी रॉक
  • -सहार हवाई अड्डा
  • -एयर इंडिया बिल्डिंग
  • -होटल जुहू सेंटूर
  • -वर्ली
  • -मुंबई स्टॉक एक्सचेंज बिल्डिंग
  • -पासपोर्ट कार्यालय
मेमन परिवार ने रची तबाही की साजिश
याकूब मेमन का इस ब्लास्ट में सबसे बड़ा हाथ था।
-याकूब ने सिलसिलेवाल बम धमाकों के लिए वित्त की व्यवस्था की थी।
-साजिशकर्ताओं के लिए याकूब ने एयर टिकट की भी व्यवस्था की थी।
-बम प्लांट करने के लिए याकूब ने वाहनों का भी इंतजाम किया।

एस्सा और यूसुफ मेमन (याकूब के भाई)
एस्सा और यूसुफ मेमन ने अल-हुसैनी बिल्डिंग माहिम में स्थित अपने फ्लैट में हथियारों और विस्फोटकों की साजिश की बैठकों और इनके भंडारण के दोषी हैं। (दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी)
रुबीना मेमन
रूबीना ममन की मारुति कार मुंबई ब्लास्ट के मुकदमे में पहला साक्ष्य थी। रूबीना की ही वैन से विस्फोटक हर जगह प्लांट किए गए थे। (उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी)

मेमन परिवार के तीन सदस्यों - सुलेमान, हनीफा और राहीन को संदेह का लाभ मिला था और कोर्ट ने तीनों को बरी कर दिया था।

इन्होंने बिछाई मौत कि बिसात
-शोएब घंसार ने झवेरी बाजार में बम प्लांट किया था जहां 17 लोग मारे गए और 57 घायल हुए थे।
-असगर मुकादम ने शाहनवाज कुरैशी के साथ प्लाजा सिनेमा में आरडीएक्स से लदी वैन लगाई थी। जहां 10 लोग मारे गए और 37 लोग घायल हुए थे।
-अब्दुल गनी तुर्क ने सेंचुरी बाज़ार में बम प्लांट किया था जहां 113 लोग मारे गए और 227 घायल हुए थे।
-परवेज शेख ने कथा बाजार में बम प्लांट किया था जहां चार लोगों की मौत हुई थी। शेख ने होटल सी रॉक में भी बम प्लांट किया था जहां नौ करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई थी।
-मोहम्मद इकबाल मोहम्मद यूसुफ शेख को सहार हवाई अड्डे में हथगोले फेंकने के लिए दोषी ठहराया गया था। -नसीम बरमारे को भी सहार हवाई अड्डे पर हथगोले फेंकने का दोषी पाया गया था।
-मोहम्मद फारूक पावले ने एयर इंडिया बिल्डिंग में बम प्लांट किया था जहां 20 लोग मारे गए और 84 घायल हुए थे। फारुक ने सेना भवन में भी बम प्लांट किया था जहां चार लोग मारे गए व 50 घायल हो गए थे।
-मुश्ताक तरानी ने होटल ताज महल में बैठक कर बमों को प्लांट करने के लिए स्थान तय किया था।
-इम्तियाज घवाटे ने दक्षिण मुंबई में बम प्लांट किया था।
खास बात यह कि बम प्लांट करने वाले सभी दोषियों को पाकिस्तान में ट्रेनिंग देकर तैयार किया गया था।
(इन सभी दोषियों को टाडा कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इन दोषियों की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।)

ये अभियुक्त भी थे शामिल
मोहम्मद मोइन कुरैशी, फिरोज अमानी मलिक, बशीर खैरउल्ला, जाकिर हुसैन, अब्दुल अख्तर खान, सलीम शेख, दाऊद फांसे उर्फ ​​दाउद तक्लया, शरीफ अब्दुल गफूर पारकर उर्फ ​​दादाभाई ने भी बम ब्लास्ट में अहम भूमिका निभाई थी।

ये साजिश दिसंबर 1992 से लेकर अप्रैल 1993 के बीच रची और अमल में लाई गई। दाऊद इब्राहिम की पूरी साजिश में भूमिका का खुलासा हुआ था। साजिश को अंजाम तक पहुंचाने के लिए एक मीटिंग हुई थी दाऊद इब्राहिम, टाईगर मेमन और दाऊद फणसे उर्फ टकले के बीच। मुंबई बमकांड का मुकदमा चलाने वाली विशेष टाडा अदालत ने अपने फैसले में अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम को प्रमुख आरोपी पाया था। इस फैसले में कई ऐसे सबूतों और गवाहों का ब्यौरा है, जो ये खुलासा करते हैं कि दाऊद ने किस तरह से उसी मुंबई शहर को खून से सराबोर कर दिया, जहां वो पला बढा था। भारत में हुए सबसे बडे आतंकवादी हमले का जिम्मेदार पाये जाने के बावजूद दाऊद और उसका टाइगर मेमन अब भी कानून की गिरफ्त से बाहर है।


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