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टीओटी मॉडल से सड़कों के लिए जुटाए जाएंगे सवा लाख करोड़

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले वर्ष ही इसकी चर्चा की थी।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sun, 15 Oct 2017 08:54 PM (IST)Updated: Sun, 15 Oct 2017 08:54 PM (IST)
टीओटी मॉडल से सड़कों के लिए जुटाए जाएंगे सवा लाख करोड़
टीओटी मॉडल से सड़कों के लिए जुटाए जाएंगे सवा लाख करोड़

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नए राजमार्गो के लिए धन जुटाने को सरकार ने मौजूदा राजमार्ग परियोजनाओं के मौद्रीकरण की स्कीम प्रारंभ की है। इसके तहत पेशेवर फंड कंपनियों को पूरी हो चुकी परियोजनाओं के ठेके देकर उनसे एकमुश्त अग्रिम राशि वसूली जाएगी। इस राशि का उपयोग नई परियोजनाओं में किया जाएगा। इसे टोल, ऑपरेट एंड ट्रांसफर (टीओटी) मॉडल नाम दिया गया है। इसके तहत चालू वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान लगभग 75 परियोजनाओं के ठेके दिए जाएंगे। इससे सवा लाख करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होने की उम्मीद है।

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अभी राजमार्ग परियोजनाओं में टोल वसूली का अधिकार भी सड़क बनाने वाली कंपनी के ही पास रहता है। जैसे-जैसे टोल की वसूली होती जाती है, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को उसका हिस्सा मिलता रहता है। लेकिन इस प्रक्रिया में प्राधिकरण को कभी इतनी एकमुश्त राशि प्राप्त नहीं होती कि जिससे नई परियोजनाओं की शुरुआत की जा सके। एनएचएआइ को नई परियोजनाओं के लिए बजट के साथ-साथ बाजार से लिए जाने वाले ऋणों पर निर्भर रहना पड़ता है। बजट की राशि सीमित होती है, जबकि कर्ज पर ब्याज अदायगी के कारण परियोजनाओं की लागत बढ़ जाती है। टीओटी से इन सारी समस्याओं का समाधान होने की उम्मीद है। इससे एनएचएआइ को एकमुश्त बड़ी राशि तो प्राप्त होगी ही, ब्याज भी अदा नहीं करना पड़ेगा।

सरकार ने इसे सड़क परियोजनाओं के मौद्रीकरण (मॉनेटाइजेशन) की संज्ञा दी है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले वर्ष ही इसकी चर्चा की थी। जबकि पिछले दिनों उन्होंने कहा था कि टीओटी मॉडल के तहत सरकार ने वर्ष 2017-18 के दौरान सवा लाख करोड़ रुपये की अग्रिम राशि जुटाने का लक्ष्य रखा है।

स्कीम के तहत एनएचएआइ ने हाल ही में आंध्र प्रदेश की छह तथा गुजरात के तीन प्रोजेक्टों समेत कुल नौ परियोजनाओं के लिए टीओटी टेंडर आमंत्रित किए हैं। कुल लगभग 681 किलोमीटर लंबाई वाली इन राजमार्ग परियोजनाओं के मौद्रीकरण से एनएचएआइ को 6,258 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि प्राप्त होगी। इसमें पेंशन फंडों तथा पीई (प्राइवेट इक्विटी) फर्मो को बोली लगाने का अधिकार है। कांट्रैक्ट जीतने वाली फर्म एनएचएआइ को एक अरब डालर की अग्रिम राशि अदा करेगी और बदले में पेशेवर कंपनियों को 30 वर्ष (कंसेशन पीरियड) तक टोल वसूलने के साथ-साथ सड़क का रखरखाव करने की जिम्मेदारी सौंपेगी। टेंडर 10 जनवरी को खुलेगा।

एनएचएआइ का इरादा आगे चल कर कंसेशन अवधि को घटाकर 20 वर्ष करने अथवा अग्रिम भुगतान राशि को एक अरब डॉलर से कम करने का है, ताकि भारतीय कंपनियों को भी टीओटी स्कीम में भाग लेने का मौका मिल सके। अभी 30 वर्ष की कंसेशन अवधि और एक अरब डॉलर की अग्रिम राशि की शर्त के कारण भारतीय कंपनियों के लिए स्कीम में भाग लेना मुश्किल हो रहा है।

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