देश की आबादी बढ़ाने में अव्वल यूपी और बिहार फिर भी देश में कम होता जा रहा लड़का-लड़की अनुपात
एक ओर देश में मेल और फीमेल के रेशियो में गिरावट हो रही है वहीं दूसरी ओर देश के कुछ राज्य आबादी को बढ़ाने में भूमिका निभा रहे हैं।
नई दिल्ली[जागरण स्पेशल]। देश की आबादी की बढ़ोतरी में यूपी और बिहार अव्वल नंबर पर है। एक ओर जहां कई राज्यों में लड़के और लड़कियों के लिंगानुपात(सेक्स रेशियो) में कमी दर्ज की जा रही है वहीं ये दोनों राज्य आबादी की बढ़ोतरी में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। यदि सेक्स रेशियो की बात करें तो सबसे बड़ी कमी देश की राजधानी दिल्ली में देखने को मिल रही है।
देश के नौ राज्यों में प्रजनन स्तर 2 से अधिक है इनमें से गुजरात और हरियाणा 2.2 पर हैं। केवल उत्तर प्रदेश और बिहार में औसतन तीन या अधिक बच्चे पैदा किए जा रहे हैं, बाकी राज्य तो एक आदर्श पैमाने का इस्तेमाल कराने में सफल साबित हुए हैं मगर यूपी और बिहार में अभी भी 3.5 और 3.3 के स्तर पर जन्मदर बनी हुई है। इसी वजह से इन दोनों राज्यों में जनसंख्या का स्तर बढ़ा हुआ है।
बड़े राज्यों में रेशियो में कमी
इसके अलावा पांच बड़े राज्य यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात में भी इस रेशियो में कमी है मगर यहां प्रति परिवार की संख्या में इजाफा हुआ है। यदि आंकड़ों को देखें तो दिल्ली में देश में सबसे कम प्रजनन दर रिकार्ड की गई है। यहां अब प्रति हजार लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या 846 रिकार्ड की गई है। साल 2015-2017 में जहां 1000 पुरूषों के मुकाबले 896 के स्तर पर थी, वहीं अब ये इससे भी निम्न स्तर पर पहुंच गई है। यदि आंकड़ों को देखें तो लड़कियों की जो संख्या घट रही है उसके हिसाब से यह तीन साल की अवधि में देश में लापता हुई लगभग 117 लाख लड़कियों के बराबर होगी। यदि पांच बड़े राज्यों यूपी, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात की तुलना करें तो इन गायब हो चुकी लड़कियों में से लगभग दो तिहाई जन्म के समय ही खत्म कर दी गई।
यदि सेक्स रेशियो में गिरावट की बात करें तो अकेले उत्तर प्रदेश में लगभग 34.5 लाख लड़कियां कम हो गई हैं। इसके बाद राजस्थान में 14 लाख, बिहार में लगभग 11.6 लाख और महाराष्ट्र और गुजरात में तीन साल में लगभग 10 लाख लड़कियों की संख्या कम हो चुकी है।
सरकारी योजनाओं के बाद भी नहीं लग रही रोक
केंद्र सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी लिंग अनुपात में गिरावट का दौर जारी है। लड़के के मुकाबले लड़कियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। सरकार ने लिंग अनुपात को बढ़ाने के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे नारे दिए जिससे लोग जागरूक हो सके और गर्भ में बेटियों की हत्या न करें मगर इन सबके बावजूद इस पर किसी तरह से रोक नहीं लगी जिसके कारण सेक्स रेशियो लगातार गिरता जा रहा है। अब समय के साथ महिलाओं में प्रजनन की क्षमता पर भी सवाल उठ रहे हैं। जहां साल 2013 में एक महिला की प्रजनन क्षमता दो से तीन बच्चों की थी वो अब साल 2017 में आकर मात्र दो बच्चों पर ठहर गई है।
रिप्लेसमेंट फर्टिलिटी
रिप्लेसमेंट फर्टिलिटी वह स्तर होता है जिस पर कोई आबादी खुद को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में बिना किसी क्रम के बढ़ते या घटते क्रम में देख सकती है। इसका अनुमान है प्रति महिला कम से कम दो बच्चे। इस स्तर के नीचे आने पर आबादी का घनत्व सिकुड़ने लगता है। replacement level fertility (प्रतिस्थापन स्तर प्रजनन क्षमता) वाले 13 राज्यों में से, दिल्ली में सबसे कम 1.5 है।
राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश को छोड़कर, सभी राज्यों की शहरी आबादी प्रतिस्थापन स्तर की उर्वरता से कम है। ग्रामीण क्षेत्रों में, मप्र, उप्र और बिहार में प्रजनन दर तीन या अधिक है। भारत की कुल प्रजनन दर 1998 में 3.2 से स्थिर रूप से गिर गई, जिसमें दक्षिणी राज्यों में सबसे अधिक सुधार हुआ, जहां यह 1970 के दशक में लगभग 4 से गिरकर वर्तमान स्तर 1.6 या 1.7 हो गया।
आज के समय में छोटे और एकल परिवार अधिक देखने को मिल रहे हैं। छोटे परिवार में लड़कों को पसंद किया जा रहा है। इसके लिए वो गर्भ में ही लड़की या लड़के होने का पता लगा ले रहे हैं, यदि लड़की होती है तो उसको गर्भ में ही मार दिया जाता है। यदि लड़का होता है तो उसको जन्म देकर बड़ा किया जाता है। इन्हीं कारणों से लड़के-लड़कियों का सेक्स रेशियो लगातार गिरता जा रहा है।
सबसे खराब सेक्स रेशियो वाले राज्यों में हरियाणा, गुजरात और पंजाब का नाम आता था मगर बीते कुछ सालों में इन्होंने इसमें सुधार किया है। 1990 से पहले इन राज्यों में सेक्स रेशियो ठीकठाक था मगर फिर भी वो अभी तक 1990 के दशक के स्तर को फिर से हासिल नहीं कर पाए हैं। ये ज्यादातर छोटी आबादी और कम जन्म वाले राज्य हैं। इसलिए, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे आबादी वाले राज्यों में सेक्स रेशियो की संख्या में गिरावट के कारण यहां सुधार अधिक है। भारत से सेक्स रेशियो में गिरावट का सिलसिला जारी है।
केरल और ओडिशा जैसे राज्यों में सेक्स रेशियो काफी उच्च स्तर पर था मगर अब इन राज्यों में भी इसमें गिरावट देखी जा रही है। छत्तीसगढ़ और केरल में पहले जहां 1000 लड़कों पर 948 लड़कियां थीं, वहां भी इनमें गिरावट होती जा रही है। ओडिशा में साल 2011-2013 में लड़कियों की संख्या 956 थी वो साल 2015- 17 में गिरकर 929 पर पहुंच गई। इस तरह से गिरावट का सिलसिला जारी है।