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चीन के साथ कोर कमांडर स्‍तर की बैठक से पहले पूर्वी लद्दाख के हालात पर चर्चा, रणनीति तैयार

भारत और चीन के बीच सातवें दौर की कोर कमांडर स्तर की बातचीत से पहले शुक्रवार को शीर्ष सैन्य अधिकारियों और सियासी हस्तियों ने पूर्वी लद्दाख के मौजूदा हालात की समीक्षा करने के साथ ही बैठक की रणनीतियों पर चर्चा की।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2020 06:04 AM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2020 06:04 AM (IST)
चीन के साथ कोर कमांडर स्‍तर की बैठक से पहले पूर्वी लद्दाख के हालात पर चर्चा, रणनीति तैयार
भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत की रणनीति पर शीर्ष अधिकारियों ने चर्चा की है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत और चीन के बीच सातवें दौर की कोर कमांडर स्तर की बातचीत से पहले शुक्रवार को यहां शीर्ष सैन्य अधिकारियों और राजनीतिक लोगों ने पूर्वी लद्दाख के मौजूदा हालात की समीक्षा करने के साथ ही बैठक की रणनीतियों पर चर्चा की। कोर कमांडरों की बैठक 12 अक्टूबर को होने वाली है। इस बार कोर कमांडरों के बीच बातचीत पूर्वी लद्दाख के सभी टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों को हटाने की रुपरेखा तय करने के एजेंडे पर होनी है।

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सूत्रों ने बताया कि चाइना स्टडी ग्रुप (सीएसजी) की बैठक में पूर्वी लद्दाख के मौजूदा हालात की समीक्षा करने के साथ ही सोमवार को होने वाली कोर कमांडरों की बैठक में भारत की तरफ से उठाए जाने वाले मुख्य मुद्दों पर चर्चा हुई। सीएसजी में विदेश मंत्री एस जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और सेना के तीनों अंगों के प्रमुख शामिल हैं।

सूत्रों ने बताया कि सेना प्रमुख जनरल एमएन नरवाने ने बैठक में पूर्वी लद्दाख में मौजूदा हालात की जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक कोर कमांडर स्तर की बातचीत की रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए यह बैठक बुलाई गई थी। भारतीय दल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे। विदेश मंत्रालय का एक अधिकारी भी बैठक में मौजूद रहेगा।

उल्‍लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में चीन के अड़ियल रुख के चलते गतिरोध बरकरार है। दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर डटी हुई हैं। चीन की चुनौती से निपटने के लिए भारत अपनी सामरिक स्‍थ‍िति भी मजबूत कर रहा है। भारत ने शुक्रवार को अपनी पहली स्वदेशी एंटी-रेडिएशन मिसाइल 'रुद्रम-1' का सफल परीक्षण किया। दुश्मन के सिग्नल और रेडिएशन प्रणाली को पकड़ कर उसे नष्ट करने में सक्षम इस मिसाइल की रफ्तार आवाज से भी दोगुनी तेज है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने यह मिसाइल विकसित की है। अभी यह तकनीक सिर्फ अमेरिका, रूस और जर्मनी के पास है। ओडिशा के बालासोर में लड़ाकू विमान सुखोई-30 से इसका परीक्षण किया गया, जो अपने लक्ष्य पर अचूक निशाना लगाकर उसे नष्ट करने में सफल रही। विशेषज्ञों की मानें तो चीन के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए यह मिसाइल बहुत उपयोगी साबित हो सकती है।


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