महज सलाह से तंबाकू छोड़ सकते हैं टीबी मरीज
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। टीबी इलाज के दौरान अगर तंबाकू उत्पाद छोड़ने की सलाह दी जाए तो यह बेहद प्रभावी होती है। भारत में किए गए एक शोध के मुताबिक ऐसे दो तिहाई से ज्यादा मरीजों पर यह सलाह कारगर साबित हुई। तंबाकू उत्पादों का उपयोग टीबी का कारण तो बनता ही है, इसके इलाज को भी मुश्किल बना देता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की लोक
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। टीबी इलाज के दौरान अगर तंबाकू उत्पाद छोड़ने की सलाह दी जाए तो यह बेहद प्रभावी होती है। भारत में किए गए एक शोध के मुताबिक ऐसे दो तिहाई से ज्यादा मरीजों पर यह सलाह कारगर साबित हुई। तंबाकू उत्पादों का उपयोग टीबी का कारण तो बनता ही है, इसके इलाज को भी मुश्किल बना देता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञ जगदीश कौर के नेतृत्व में किए गए इस शोध में यह नतीजा सामने आया है। डाट्स कार्यक्रम के तहत इलाज करवा रहे 2,879 टीबी मरीजों पर यह अध्ययन किया गया। कौर बताती हैं कि इनमें से 46 फीसद लोग तंबाकू उत्पादों का सेवन करते पाए गए। टीबी मरीजों का इलाज कम से कम छह माह चलता है। इस दौरान वे जब भी डाट्स कार्यकर्ता के संपर्क में आए, उन्हें यह सलाह दी गई। छह माह के अंत में पाया गया कि इनमें से 67 फीसद लोग इसके लिए तैयार थे। यह बात और है कि छोड़ने वालों में से 18 फीसद दोबारा इसके चुंगल में फंस गए।
डॉक्टर जगदीश कौर के मुताबिक बीड़ी, सिगरेट और गुटखा जैसे उत्पादों की लत छुड़ाना आसान नहीं होता, लेकिन टीबी जैसी बीमारी के इलाज के दौरान सामान्य सलाह भी पर्याप्त असर दिखाती है। इसलिए टीबी नियंत्रण कार्यक्रम में तत्काल इसे शामिल किया जाना चाहिए।
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