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    तंबाकू-सिगरेट पर लगने वाले उत्पाद शुल्क के राजस्व में राज्यों की भी हिस्सेदारी

    By RAJEEV KUMAREdited By: Deepak Gupta
    Updated: Wed, 03 Dec 2025 10:00 PM (IST)

    केंद्र सरकार तंबाकू और सिगरेट पर लगने वाले उत्पाद शुल्क से होने वाली आय को राज्यों के साथ बांटती है। यह राजस्व विभाजन केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय ...और पढ़ें

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     तंबाकू-सिगरेट पर भारी शुल्क जारी।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जीएसटी दरों में बदलाव के बाद तंबाकू-सिगरेट पर भारी शुल्क जारी रखने और उसकी बिक्री को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से लाए जा रहे केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक 2025 बुधवार को लोक सभा से पारित हो गया। लोक सभा में इस पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि कई सांसद समझ रहे हैं कि यह विधेयक तंबाकू-सिगरेट पर सेस लगाने के लिए लाया जा रहा है। कई सांसद यह भी मान रहे हैं कि इससे मिलने वाला राजस्व केंद्र सिर्फ अपने पास रखेगा।

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    उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि यह विधेयक कहीं से सेस से संबंधित नहीं है। इस शुल्क कानून के जरिए मिलने वाले राजस्व में 41 प्रतिशत हिस्सेदारी राज्यों की होगी। इस कानून के तहत सरकार तंबाकू-सिगरेट जैसे हानिकारक आइटम पर पहले के मुकाबले कई गुना अधिक शुल्क वसूलने जा रही है। ताकि इसकी खरीदारी कम से कम लोग कर सके और देश स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग हो सके। हालांकि इस उत्पाद शुल्क कानून के दायरे से बीड़ी को बाहर रखा गया है।

    सीतारमण ने संसद में बताया कि सरकार तंबाकू, सिगरेट की बिक्री को हतोत्साहित करने के लिए भारी शुल्क के साथ तंबाकू की खेती करने वाले किसानों को भी अन्य वैकल्पिक खेती करने की भी सलाह दे रही है। उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना जैसे 10 राज्यों में तंबाकू की मुख्य रूप से खेती होती है और यहां के किसान अब धीरे-धीरे तंबाकू की जगह अन्य फसल की खेती करने लगे हैं। वर्ष 2018-2022 के बीच 45,323 हेक्टेयर से अधिक जमीन पर किसान तंबाकू को छोड़ अन्य फसल की खेती करने लगे हैं।

    वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले कई सालों में आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, टर्की जैसे 80 देशों ने तंबाकू व सिगरेट की कीमतों में भारी बढ़ोतरी की है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं किया गया। इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सवाल खड़ा किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि भारत में उल्टा तंबाकू संबंधी आइटम की खरीदारी सस्ती हो गई है।

    सीतारमण ने कहा कि कई सांसदों ने इस उत्पाद शुल्क संशोधन कानून को सेस समझ रहे हैं। लेकिन अब सेस को समाप्त कर दिया गया है। वर्ष 2017 में जीएसटी प्रणाली लागू होने के दौरान पांच साल के लिए सेस लगाने का प्रविधान लाया गया था जिसे क्षतिपूर्ति सेस का नाम दिया गया था। वर्तमान में सिर्फ तंबाकू, सिगरेट व पान मसाला पर 28 प्रतिशत जीएसटी और सेस वसूला जा रहा है।

    गत तीन सितंबर को जीएसटी प्रणाली में बदलाव के फैसले के बाद अन्य किसी भी वस्तु पर सेस नहीं लिया जा रहा है। 28 प्रतिशत के स्लैब को समाप्त कर दिया गया है और उसकी जगह 40 प्रतिशत का स्लैब लाया गया है। लेकिन तंबाकू, सिगरेट पर 28 प्रतिशत जीएसटी और सेस लिया जा रहा है। नए कानून के पारित होने के बाद सरकार तंबाकू, सिगरेट पर भारी उत्पाद शुल्क के साथ इसे 40 प्रतिशत के जीएसटी दायरे में भी ला सकती है। इस पर जीएसटी काउंसिल की अध्यक्ष वित्त मंत्री फैसला लेंगी।