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तेजस को उन्नत करने के लिए स्वीडन की कंपनी से संपर्क

देश में बने हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) 'तेजस' को उन्नत करने में सहयोग देने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की स्वीडन की विमानन कंपनी साब से बातचीत चल रही है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Thu, 14 Apr 2016 06:45 PM (IST)Updated: Thu, 14 Apr 2016 06:53 PM (IST)
तेजस को उन्नत करने के लिए स्वीडन की कंपनी से संपर्क

नई दिल्ली। देश में बने हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) 'तेजस' को उन्नत करने में सहयोग देने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की स्वीडन की विमानन कंपनी साब से बातचीत चल रही है। भारतीय वायुसेना में पुराने पड़ चुके मिग लड़ाकू विमान के बेड़े की जगह तेजस की तैनाती होनी है।

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वरिष्ठ रक्षा सूत्रों के मुताबिक, इस संबंध में पहले दौर की बातचीत पूरी हो चुकी है। आगे की चर्चा के लिए साब की उच्च स्तरीय टीम अगले सप्ताह भारत का दौरा करेगी। स्वीडिश साब कंपनी सिंगल इंजन वाले ग्रिपेन लड़ाकू विमान का निर्माण करती है। सूत्रों ने कहा कि भारत को करीब 300 एलसीए की जरूरत है। साब ग्रिपेन बढि़या लड़ाकू विमान है। इसलिए बातचीत के जरिये यह पता लगाया जा रहा है क्या वह तेजस को उन्नत करने में तकनीकी सहयोग प्रदान करेगी। संभव है कि भारत में एलसीए के विकास और निर्माण में मदद के लिए साब दोनों देशों की सरकारों के बीच समझौते पर जोर दे। साब ने मेक इन इंडिया के तहत भारत में ग्रिपेन बनाने प्रस्ताव पहले से ही दाखिल किया हुआ है।

रक्षा मंत्रालय ने पहले उन्नत तेजस विमान के निर्माण के लिए 2018 की समय सीमा तय की है। तेजस का निर्माण करने वाली सरकारी क्षेत्र की एचएएल संभवत: जून तक वायुसेना को चौथा विमान सौंप देगी। चार विमान के बाद वायुसेना में तेजस का पहला स्क्वाड्रन तैयार हो जाएगा। इसका इस्तेमाल प्रशिक्षण के लिए किया जाएगा। एमके-2 जैसे एलसीए का इंतजार करने के बजाय वायुसेना ने करीब 40 संशोधनों के साथ मौजूदा तेजस को उन्नत करने का फैसला किया है। वायुसेना की 120 तेजस खरीदने की योजना है। इनमें से 100 में बड़े संशोधन किए जाने हैं।

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