मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, तीन तलाक अध्यादेश है लोकतंत्र की हत्या, इसे वापस लिया जाए
बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफ उल्लाह रहमानी ने कहा कि समुदाय के साथ कोई परामर्श नहीं हुआ और आप (सरकार) ने स्वयं पर फैसला कर लिया।
हैदराबाद, पेट्र। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने गुरुवार को आरोप लगाया कि 'तीन तलाक पर दंडनीय अपराध' अध्यादेश लोकतंत्र की हत्या है। बोर्ड ने कहा कि इस कदम को अदालत में ले जाएंगे। बोर्ड ने कहा कि सरकार संसद में इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नहीं करना चाहती है।
यह देश के सर्वोच्च विधायी निकाय का अपमान है। अध्यादेश के माध्यम से सरकार ने 'चोर दरवाजे' को चुना है। यह लोकतंत्र की हत्या है और संसद का अपमान है। संसद का सत्र जल्द शुरू होने वाला है लेकिन सरकार इस मुद्दे पर बहस नहीं करना चाहती है। हम महसूस करते हैं कि यह मुस्लिम महिलाओं को हानिकारक है।
बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफ उल्लाह रहमानी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि समुदाय के साथ कोई परामर्श नहीं हुआ और "आप (सरकार) ने स्वयं पर फैसला कर लिया। इस अध्यादेश के माध्यम से न्याय देने के बजाय अन्याय किया गया है। इस मुद्दे पर जब पूछा गया कि क्या बोर्ड अध्यादेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगा, रहमानी ने कहा कि इस बारे में हमारी कानूनी टीम चर्चा करेगी और कानूनी विकल्प को मान सकती है।
एआईएमआईएम के अध्यक्ष और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक अध्यादेश की व्याख्या करते हुए इसे धोखाधड़ी बताया और कहा कि इसे अदालत में चुनौती दी जानी चाहिए। इस बारे में गलती हुई है। ओवैसी के अनुसार, अध्यादेश भारतीय जनता पार्टी की 'तकनीक' है, जिसे राफेल मुद्दे, नीरव मोदी, मेहुल, चौकसी और पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए किया गया है।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने पिछले बुधवार को अवैध और निरर्थक तीन तलाक के अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए हैं। अध्यादेश में पति को तीन साल के लिए जेल भेजा जाएगा। इस कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार ने कुछ सुरक्षा उपायों को भी शामिल किया जैसे आरोपी को जमानत देना।