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The Satanic Verses से सुर्खियों में आए सलमान रुश्दी के खिलाफ जारी हुआ था मौत का फरमान, डर में गुजारे तीन दशक

अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर के लेखक सलमान रुश्दी हमेशा से ही विवादों में घिरे रहे हैं। उनकी किताब The Satanic Verses के लिए ईरान से उनके नाम मौत का फरमान भी जारी हुआ था। वो कई पुरस्‍कार जीत चुके हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2022 12:00 PM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 01:12 PM (IST)
The Satanic Verses से सुर्खियों में आए सलमान रुश्दी के खिलाफ जारी हुआ था मौत का फरमान, डर में गुजारे तीन दशक
हमेशा विवादों से घिरे रहे सलमान रुश्दी

नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। एक इंटरव्‍यू के दौरान जानलेवा हमले में घायल हुए सलमान रुश्‍दी एक बार फिर से मीडिया की सुर्खियां बन गए हैं। इस हमले में उनकी एक आंख की रोशनी जाने का खतरा है।

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हमले के तुरंत बाद उन्‍हें अस्‍पताल ले जाया गया जहां उनका इलाज चल रहा है। हमलावर ने उनका इंटरव्‍यू ले रहे शख्‍स पर भी हमला किया था। उनके ऊपर ये हमला न्‍यूयार्क में हुआ था।

बता दें कि रुश्‍दी अपनी विवादित किताब 'द सैनेटिक वर्सेज' को लेकर वर्षों पहले सुर्खियों में आए थे। इस किताब को लेकर उन्‍हें कई जगह से जान से मारने की धमकी तक मिली थी। उनके खिलाफ कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी हुए थे।

इतना ही नहीं ईरान के पूर्व नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने उन्‍हें जान से मारने तक का आदेश तक दिया था। बाद में ईरान की सरकार ने इससे खुद को अलग कर लिया था। बाद में रुश्‍दी ने अपनी पहचान को छिपाने के लिए जोसेफ एंटोन का सहारा लिया था। आइये जानते हैं उनकी टाइमलाइन।

  • सलमान रुश्‍दी का जन्‍म बाम्‍बे में 19 जून 1947 में हुआ था। रश्‍दी को 1981 में उनके नोवल मिडनाइट्स चिल्ड्रेन के लिए बुकर प्राइज से सम्‍मानित किया गया था। 1988 में उनके लिए उपन्यास द सैनेटिक वर्सेज ने विवाद खड़ा कर दिया था। इसके बाद इस उपन्‍यास को भारत समेत ईरान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका समेत कई दूसरे देशों में बैन कर दिया गया।
  • 1989 में इस किताब के खिलाफ ईरान ने एक फतवा जारी किया जिसमें रुश्‍दी को जान से मारने का हुक्‍म दिया गया था। इसके ऐवज में हमलावर को बड़े पुरस्‍कार की भी घोषणा की गई थी। ईरान की तरफ से ये फतवा वहां के सर्वोच्‍च नेता ने दिया था। उनका आरोप था कि इस किताब में रश्‍दी ने इस्लाम का अपमान किया है।
  • 1990 में न्यूजवीक ने गुड फेथ शीर्षक से एक निबंध प्रकाशित कर उनका बचाव करने की कोशिश की थी।
  • 1993 में रुश्दी लेखकों की अंतरराष्‍ट्रीय संसद की स्थापना में हिस्सा लिया था। इसमें लेखकों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की आजादी की मांग की गई थी। इसको वर्ष 2003 में भंग कर दिया गया।
  • ईरान से उनकी हत्‍या करने का फतवा जारी होने के बाद रश्‍दी 1995 में पहली बार लंदन में दिखाई दिए थे।
  • 1999 में रुश्दी को भारत ने वीजा जारी किया था। हालांकि तब उनके खिलाफ देश में जबरदस्‍त विरोध हुआ था।
  • 2005 में उन्‍होंने कश्‍मीर को लेकर एक किताब शालीमार द क्लाउन लिखी थी।
  • 2007 में साहित्य में योगदान के लिए वर्ष 2007 में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने सर की उपाधि से सम्मानित किया था।
  • 2009 में ईरान की तरफ से कहा गया कि सलमान रुश्दी की हत्‍या को लेकर जारी फतवा अब भी मान्य है।
  • 2012 में विरोध की वजह से ही रुश्‍दी को जयपुर के साहित्य महोत्सव में शामिल होने की अपनी योजना रद करनी पड़ी थी।
  • 2012 में रुश्दी ने अपने नए नाम को लेकर एक संस्मरण पब्लिश किया। इसमें उनके अलग-अलग जगहों पर छिपकर रहने का ब्‍यौरा था।
  • 2014 में रुश्दी ने अभिव्यक्ति की आजादी के समर्थन के लिए वार्षिक पेन/पिंटर पुरस्कार से नवाजा गया था।
  • 2015 में रुश्दी की किताब टू ईयर्स, एट मंथ्स एंड ट्वेंटी एट नाइट्स रिलीज हुई।
  • 2016 में रुश्‍दी ने अमेरिका की नागरिकता हासिल कर ली थी।
  • 2020 में क्विचोट के लिए उनका नाम बुकर पुरस्कार के लिए भेजा गया था।
  • 2022 में रुश्दी को ब्रिटेन की महारानी के वार्षिक जन्मदिन सम्मान में कंपेनियन आफ आर बनाया गया।  

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