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बिहार में कुदरत का कहरः कल चमन था, आज एक सहरा हुआ...

मंगलवार की रात अपने परिवार के साथ हंसी- खुशी खाना खाकर सोने गये लोगों को क्या पता था कि तेज आंधी का एक झोंका देखते ही देखते उनका सब कुछ उड़ा ले जाएगा। पूर्णिया जिले में बीस मिनट तक चली तूफानी हवा ने 40 लोगों की जानें लील ली। सौ

By manoj yadavEdited By: Published: Thu, 23 Apr 2015 09:28 AM (IST)Updated: Thu, 23 Apr 2015 02:18 PM (IST)
बिहार में कुदरत का कहरः कल चमन था, आज एक सहरा हुआ...

पूर्णिया [राजीव कुमार]। मंगलवार की रात अपने परिवार के साथ हंसी- खुशी खाना खाकर सोने गये लोगों को क्या पता था कि तेज आंधी का एक झोंका देखते ही देखते उनका सब कुछ उड़ा ले जाएगा। पूर्णिया जिले में बीस मिनट तक चली तूफानी हवा ने 40 लोगों की जानें लील ली। सौ से ज्यादा लोग बुरी तरह से जख्मी होकर अस्पतालों में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं।

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जब मंगलवार की रात 9.40 बजे आंधी के साथ बारिश की शुरुआत हुई तब किसी ने नहीं समझा कि यह मौत का सबब बन जाएगी। तूफानी हवा ने देखते ही देखते विकराल रूप धारण कर लिया। बीस मिनट तक इस तूफानी हवा का तांडव पूर्णिया में जारी रहा। बिजली के खंभे सड़कों पर टूटकर गिरने लगे। कई खड़े वाहनों पर पेड़ गिर गए। सड़क पर चारों ओर पेड़ गिरने के कारण पूर्णिया शहर टापू में तब्दील हो गया। जो जहां था वहीं फंस गया। निकलने के रास्ते नहीं थे। सभी रास्ते अवरुद्ध हो गए थे। मोबाइल नेटवर्क एवं टेलीफोन सेवा बाधित होने के कारण देर रात तक हुई क्षति की सही तस्वीर तो सामने नहीं आई लेकिन जैसे ही सुबह हुई हर ओर तबाही का मंजर दिखने लगा।

देर रात आई तेज आंधी जहां हजारों परिवार के लोगों के सिर से उनका साया उड़ा ले गई तो कई बच्चों के सिर से पिता व मां का साया भी छिन गया। तूफानी हवा के गुजरने के बाद हर ओर सिर्फ सुनाई दे रही थी लोगों की चीत्कार और वे डूबे थे अपनों के खोने के गम में।

किसान अपनी मकई की फसल बर्बाद होने के बाद खून के आंसू रो रहे हैं। उन्हें अब इस बात की चिंता सता रही है की बिटिया रानी की शादी कैसे होगी। बुधवार की सुबह सड़कों का नजारा भी बिल्कुल डरावना था। सड़कों पर जहां उजड़े आशियानों के मलबे बिखरे हुए थे तो कई घरों का बचा-खुचा राशन भी तूफान अपने साथ उड़ा ले गया था। कई घरों से उठने वाली सिसकियां यह बता रही थी कि तूफानी हवा उनके घर के चिराग को बुझा दिया। पेड़ों से टूटकर गिरी अनगिनत टहनियां, खेतों में झुकी मकई की बालियां लदी फसल साफ दर्शा रही थी कि कुदरत के कहर से किसानों की कमर भी झुक गई है।

पूर्णिया से महज बारह किलोमीटर दूर डगरूआ प्रखंड में इस तूफानी हवा ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई है। वहां इस हजारों घरों की छतें उड़ गईं हैं। यहां उन्नीस लोगों की जानें भी गई हैं। इसके बाद तूफान का सबसे ज्यादा असर के. नगर पूर्णिया, पूर्व प्रखंड के अलावा पूर्णिया शहरी क्षेत्र एवं बनमनखी में देखा गया। बुधवार की देर शाम तक तूफान में मरने वालों की संख्या बढ़ने का सिलसिला जारी रहा।

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