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देश में पांच में से तीन बच्चे एनीमिया से हैं पीड़ित, जानें- इस गंभीर बीमारी से कैसे मुक्त होगा भारत

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के 2015-16 के आंकड़ों के अनुसार एनीमिया को तीन श्रेणियों (हल्के मध्यम और गंभीर) में विभाजित किया गया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 22 Dec 2019 08:44 PM (IST)Updated: Sun, 22 Dec 2019 08:48 PM (IST)
देश में पांच में से तीन बच्चे एनीमिया से हैं पीड़ित, जानें- इस गंभीर बीमारी से कैसे मुक्त होगा भारत
देश में पांच में से तीन बच्चे एनीमिया से हैं पीड़ित, जानें- इस गंभीर बीमारी से कैसे मुक्त होगा भारत

नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। भारत में एनीमिया (रक्त अल्पता) का उन्मूलन बड़ी चुनौती है, वर्तमान में हालात यह हैं कि देश में पांच में से तीन बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं। सरकार ने देश को एनीमिया मुक्त बनाने की ओर कदम बढ़ाया है। योजना के तहत एनीमिया के मामले में 2022 तक सालाना तीन फीसद की कमी लाने का लक्ष्य तय किया गया है।

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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में मौजूदा समय में छह माह से लेकर 59 माह तक के 58.5 फीसद बच्चे और 15 से 49 साल की उम्र की 53.1 फीसद महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के 2015-16 के आंकड़ों के अनुसार, एनीमिया को तीन श्रेणियों (हल्के, मध्यम और गंभीर) में विभाजित किया गया है। सरकार द्वारा दिए गए विवरण के अनुसार, ग्रामीण भारत में 29.8 फीसद बच्चे मध्यम एनीमिया और 40.3 फीसद महिलाएं हल्के एनीमिया से पीड़ित हैं।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने पिछले संसद सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में बताया था कि 2018 में केंद्र सरकार ने 'पोषण' अभियान के तहत 'एनीमिया मुक्त भारत (AMB)' की शुरुआत की थी, ताकि एनीमिया के प्रसार को 2022 तक हर साल तीन फीसद तक कम किया जा सके।

उन्होंने बताया कि एएमबी एक 6*6*6 की रणनीति है। इसमें छह आयुवर्ग को छह तरीकों से छह संस्थानों द्वारा एनीमिया से बचाने का प्रयास किया जा रहा है। छह आयुवर्ग में बच्चे (6-59 माह), स्कूल जाने वाले बच्चे (5-9 वर्ष), किशोरियां (10-19 वर्ष), किशोर (10-19 वर्ष), गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं (15-49 वर्ष) शामिल हैं।

इससे बचाव के छह तरीकों में प्रोफीलैक्टिक आयरन फोलिक एसिड का सप्लीमेंट देना, समय पर पेट के कीड़े मारने की दवा देना, गैर पोषण आहार की जानकारी लेना, विभिन्न बीमारियों जैसे- मलेरिया, हीमोग्लोबिनपैथिस व फ्लोरोसिस पर नजर रखना आदि है। एनीमिया के लड़ने के लिए छह संस्थानों में राष्ट्रीय एनीमिया मुक्त भारत ईकाई और नेशनल सेंटर फॉर एक्सीलेंस और एडवांस रिसर्च ऑन एनीमिया कंट्रोल आदि हैं।

क्या होता है एनीमिया

शरीर में खून की कमी को एनीमिया कहा जाता है। पुरुषों में हीमोग्लोबिन का स्तर 13.5 और महिलाओं के मामले में 12 से कम होने पर शरीर में रक्त की कमी की स्थिति मानी जाती है। जब हीमोग्लोबिन की स्थिति सात के कम हो तो गंभीर एनीमिया का मामला बन जाता है। इस बीमारी के कारण थकान, अनिद्रा, ध्यान केंद्रित न होना आदि की परेशानी होती है।

बच्चों में एनीमिया की व्यापकता (छह से 59 माह)

                                                          ग्रामीण      शहरी     कुल

निम्न (10.0-10.9 ग्राम प्रति डेसीलीटर)    28.2         26.8     27.8

मध्यम (7.0-9.9 ग्राम प्रति डे.ली.)            29.8         27.5     29.2

गंभीर (<7.0 ग्राम प्रति डे.ली.)                  1.5          1.6        1.6

अन्य (<11.0 ग्राम प्रति डे.ली.)                 59.5        56.0      58.5

महिलाओं में एनीमिया की व्यापकता (15 से 49 वर्ष)

                                                          ग्रामीण    शहरी     कुल

निम्न (10.0-11.9 ग्राम प्रति डेसीलीटर)    40.3       38.3     39.6

मध्यम (7.0-9.9 ग्राम प्रति डे.ली.)           12.8       11.6     12.4

गंभीर (<7.0 ग्राम प्रति डे.ली.)                 1.1          0.9       1.0

अन्य (<12.0 ग्राम प्रति डे.ली.)                54.2       50.8      53.1


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