सबसे संरक्षित पक्षियों के वैश्विक समझौते में तीन भारतीय प्रजातियां
विलुप्तप्राय हो रहे जीव जंतुओं के संरक्षण के वैश्विक समझौते में भारत की तीन प्रजातियों को शामिल किया गया है।
गांधीनगर, प्रेट्र : विलुप्तप्राय हो रहे जीव जंतुओं के संरक्षण के वैश्विक समझौते में भारत की तीन प्रजातियों को शामिल किया गया है। इनमें ग्रेट इंडियन बस्टर्ड यानी सोन चिरैया, एशियाई हाथी और बगाल फ्लोरिकन यानी बंगाल बस्टर्ड शामिल है। बंगाल फ्लोरिकन को खरमोर नाम से भी जाता है।
13वां प्रवासी पक्षी प्रजाति संरक्षण सम्मेलन
यहां 13वें प्रवासी पक्षी प्रजाति संरक्षण सम्मेलन के आखिरी दिन इन प्रजातियों को समझौते में शामिल किया गया। इस समझौते में जैगुआर को भी शामिल किया गया है, जिसके वजूद को सबसे ज्यादा खतरा है। जैगुआर दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है।
ये चार प्रजातियां है शामिल
इस समझौते के परिशिष्ट एक में इन चार प्रजातियों के अलावा लिटिल बस्टर्ड, एंटीपोडियन अल्बट्रोस और ओसेनिक व्हाइट टिप शार्क को भी शामिल किया गया है। परिशिष्ट एक में उन वन्य जीवों को रखा जाता है, जिनके वजूद को सबसे ज्यादा खतरा है और उन्हें सख्त संरक्षण की जरूरत है।
बंगाल फ्लोरिकन पृथ्वी पर हबरोपसिस वर्ग का एकलौता सदस्य है। भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा यह दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ और देशों में भी पाया जाता है। भारत में यह बंगाल में पाया जाता है, इसीलिए इसे बंगाल फ्लोरिकन कहते हैं। इसकी ऊंचाई 22 इंच तक होती है।
उत्तराखंड़ में देखा गया दुर्लभ प्रवासी पक्षियों का जोड़ा
वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड में पहली बार रूफस-बैक्ड रेडस्टार्ट या एवरमैन रेडस्टार्ट नाम के दुर्लभ प्रवासी पक्षियों का एक जोड़े आया है। ये जोड़ा हाल ही मेंइकोलाजिस्ट और प्रकृति प्रेमी के रामनारायण के नेतृत्व में आयोजित बर्ड वॉक के दौरान देखा गया है। वन विभाग के नेचर गाइड ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत यह बर्ड वॉक आयोजित किया गया था। मुनस्यारी निवासी रामनारायण ने बताया कि इस जोड़े को खेतों और बागों में नेचर गाइड प्रशिक्षुओं और पक्षी प्रेमियों के एक समूह ने देखा था।
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