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तीन नहीं दस भाषाएं होंगी वजूद में : राजीव शुक्ला

विश्व हिंदी सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा कही गई बातों से पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद राजीव शुक्ला सहमत नहीं नजर आए। नईदुनिया से चर्चा में उन्होंने कहा कि 'मोदी का मानना है कि अंग्रेजी,चाइनीज और हिंदी भाषाएं ही अग्रणी व अस्तित्व में रहेंगी, लेकिन वस्तुत: ऐसा नहीं है।

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2015 08:35 AM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2015 09:01 AM (IST)
तीन नहीं दस भाषाएं होंगी वजूद में : राजीव शुक्ला

भोपाल। विश्व हिंदी सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा कही गई बातों से पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद राजीव शुक्ला सहमत नहीं नजर आए। नईदुनिया से चर्चा में उन्होंने कहा कि 'मोदी का मानना है कि अंग्रेजी,चाइनीज और हिंदी भाषाएं ही अग्रणी व अस्तित्व में रहेंगी, लेकिन वस्तुत: ऐसा नहीं है। दुनिया में कम से कम दस भाषाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं और हमेशा रहेंगी। भारत को फिलहाल तो यह प्रयास करना चाहिए कि हिंदी दस अग्रणी भाषाओं में अपना स्थान बनाए। अभी हिंदी यहां तक नहीं पहुंच सकी है।" शुक्ला ने कहा कि दुनिया में चाइनीज ही नहीं, बल्कि स्पेनिश व जर्मन भी बहुत बड़ी आबादी बोलती है, अरबी बोली का भी बहुत बड़ा वर्ग है। अंग्रेजी, हिंदी समेत कई भाषाएं दुनिया में बोली जाती हैं।
कांग्रेस नेता शुक्ला ने कहा कि हिंदी को स्थापित करने के लिए मैंने विदेश मंत्रालय को लिखा है कि वह दुनिया के कई देशों में हिंदी को पढ़ाने की व्यवस्था के बारे में भी सोचे। उन्होंने आयोजन की दृष्टि से विश्व हिंदी सम्मेलन को ठीक प्रयास बताया,लेकिन यह भी कहा कि सरकार को अपनी इच्छाशक्ति भी प्रदर्शित करना पड़ेगी।
अभी बहुत कुछ करना होगा: सत्यव्रत
राज्यसभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी ने विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजन को बहुत बेहतर मानने के बजाए कहा कि आयोजन ठीक-ठाक है, सरकार को हिंदी की स्थापना के लिए अभी बहुत प्रयास करने बाकी है। मुझे फिलहाल तो बहुत बड़ा फर्क नजर नहीं आ रहा है,वैसे भी ऐसे आयोजनों में जिस पार्टी की सरकार होती है,उसकी छाप नजर आ जाती है।

बदलने लगी है तस्वीर :तोमर
केंद्रीय खनिज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन आने वाले समय में हिंदी के प्रचार प्रसार की दिशा में मील का पत्थर साबित होने वाला है। यह आयोजन हिंदी को बढ़ावे के लिए हुए पिछले कई आयोजनों से बहुत बेहतर है। तोमर ने कहा कि उनके मंत्रालय को विभिन्न देशों के संपर्क में रहना पड़ता है,इसीलिए उन्होंने गौर किया है कि हिंदी के प्रति दूसरे देशों का नजरिया बहुत उदार होने लगा है। हाल में वे जब आस्ट्रेलिया गए थे तो वहां की सरकार ने हिंदी के प्रति खासा सम्मान और उत्सुकता प्रकट की थी।

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