गर्भवती महिलाओं के लिए मुसीबत बना यातायात जाम
देश की राजधानी दिल्ली में सड़कों पर वाहनों के भारी दबाव के चलते यातायात जाम व कैट्स एंबुलेंस को देर से मदद के लिए कॉल करना गर्भवती महिलाओं के लिए भारी पड़ रहा है। आलम यह है कि पिछले आठ माह में 26 महिलाओं का अस्पताल पहुंचने से पहले कैट्स
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में सड़कों पर वाहनों के भारी दबाव के चलते यातायात जाम व कैट्स एंबुलेंस को देर से मदद के लिए कॉल करना गर्भवती महिलाओं के लिए भारी पड़ रहा है। आलम यह है कि पिछले आठ माह में 26 महिलाओं का अस्पताल पहुंचने से पहले कैट्स एंबुलेंस में ही प्रसव हो गया। गनीमत है कि सभी का प्रसव सुरक्षित हुआ, जबकि कैट्स एंबुलेंस में गर्भवती महिलाओं की मदद के लिए महिला पैरामेडिकल कर्मचारी नहीं होती।
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित कैट्स एंबुलेंस सेवा में महिला पैरामेडिकल कर्मचारियों का टोटा है। यह भी तब जब स्वास्थ्य विभाग ने गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाना कैट्स एंबुलेंस की पहली प्राथमिकता तय कर दी है। प्रसव के बाद महिलाओं को एंबुलेंस उनके घर भी छोड़ती है। कैट्स एंबुलेंस सेवा के आंकड़ों के अनुसार, हर माह तीन हजार गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस अस्पताल पहुंचाती है, जिसमें से औसतन तीन महिलाओं का प्रसव एंबुलेंस में ही हो जाता है। पिछले साल मई से दिसंबर के बीच 26 महिलाओं ने एंबुलेंस में ही बच्चे को जन्म दिया। परिवार के लोग व एंबुलेंस में मौजूद पुरुष पैरामेडिकल कर्मचारी ने प्रसव में उनकी मनोएडा में ही है आतंकियों का मददगार अतीकउर-रहमानदद की, जिससे सुरक्षित प्रसव संभव हो सका।
समय पर फोन करना जरूरी
कैट्स एंबुलेंस के प्रभारी डॉ. राजू ने कहा कि कई बार सड़कों पर जाम इतना मिलता है कि एंबुलेंस समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाती। इसके चलते बीच रास्ते में प्रसव हो जाता है। इसके अलावा यह भी देखा गया है कि गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस को देर से कॉल किया जाता है। इसके चलते भी घटनाएं होती हैं। एंबुलेंस को समय से कॉल करना जरूरी है।
सिर्फ 25 महिला पैरामेडिकल कर्मचारी
मौजूदा समय में दिल्ली की सड़कों पर 152 कैट्स एंबुलेंस दौड़ रही हैं, जिसमें 21 एएलएस (एडवांस लाइफ स्पोर्ट), 10 बीएलएस (बेसिक लाइफ स्पोर्ट सिस्टम), 120 मरीजों को ढोने वाली वैन व एक दान में मिली एंबुलेंस शामिल है। विभाग पैरामेडिकल कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। फिलहाल, कुल 251 पैरा मेडिकल कर्मचारी हैं, जिसमें से सिर्फ 25 महिलाएं हैं।