देश में अगले पांच सालों में हजारों पायलटों की जरूरत, पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं होने से पड़ रहा असर
उड्डयन क्षेत्र में हो रहे विकास को देखते हुए अगले पांच सालों तक हर साल एक हजार से अधिक पायलटों की आवश्यकता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पायलटों के प्रशिक्षण के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं होने से देश में प्रशिक्षित पायलटों की कमी है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। उड्डयन क्षेत्र में हो रहे विकास को देखते हुए अगले पांच सालों तक हर साल एक हजार से अधिक पायलटों की आवश्यकता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पायलटों के प्रशिक्षण के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं होने से देश में प्रशिक्षित पायलटों की कमी है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि पिछले कुछ सालों में जितने भी कमर्शियल पायलटों को लाइसेंस जारी किए गए हैं, वह बढ़ती हुई मांग को देखते हुए बेहद कम हैं।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2019 में कुल 744 कमर्शियल लाइसेंस (सीपीएल) जारी किए गए थे, जो वर्ष 2020 में घटकर 578 ही रह गए। हालांकि वर्ष 2021 में यह तादाद बढ़ी और 862 पायलटों को सीपीएल जारी किए गए। एक वरिष्ठ पायलट ने कहा, 'पायलटों की मांग बढ़ने वाली है। हर साल करीब 200 पायलटों के रिटायर होने की उम्मीद है। लेकिन हमारे पास इसके लिए उपयुक्त बुनियादी ढांचा नहीं है।'
मौजूदा समय में बड़ी तादाद में पायलटों का प्रशिक्षण दूसरे देशों में हो रहा है। लेकिन वहां से लौटने के बाद उन्हें पूरे देश में दिन और रात की मिलाकर 20 घंटे से अधिक की उड़ानों का अनुभव हासिल करना होता है। तभी उन्हें नियामक संस्था से सीपीएल मिलता है। सीपीएल जारी होने की प्रक्रिया में भी समय लगता है। सरकार ने इस दिशा में पहल की है। लेकिन देखा गया है कि फ्लाइट ट्रेनिंग संगठनों में पर्याप्त बुनियादी ढांचे की कमी है। एफटीओ (फ्लाइट ट्रेनिंग आर्गनाइजेशन) की भी पर्याप्त निगरानी और आडिट कराने की जरूरत है। इसके बावजूद सरकार का कहना है कि देश में पायलटों की कोई कमी नहीं है।
हालांकि, वह कुछ विशेष प्रकार के विमानों के लिए कमांडरों की कमी की बात को स्वीकार करती है। हाल ही में संसद में एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि इस क्षेत्र में फारेन एयरक्रू टेम्पोरेरी आर्थेराइजेशन (एफएटीए) जारी करके विदेशी पायलटों को भर्ती किया गया है। इसी साल 30 जून तक 82 एफएटीए धारकों को भारत में जगह मिली थी। भारत में नौ हजार से अधिक पायलट विभिन्न एयरलाइनों में काम कर रहे हैं। एअर इंडिया ने बोइंग 777 फ्लीट में विमानों की जरूरत को पूरा करने के लिए कुछ विदेशी पायलटों को भर्ती करने का फैसला लिया है। अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने प्रशिक्षित पायलटों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई कदम उठाए हैं। वर्ष 2020 में भारतीय विमानपत्तन (एएआइ) ने उदार एफटीओ नीति जारी की है।
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