रिपोर्ट ने चौंकाया, देश में मनमाने ढंग से चल रहे 1,339 बाल देखभाल केंद्र
बाल अधिकारों पर चर्चा करने वालों के लिए यह सूचना चौंकाने वाली है। देश में बच्चों की देखभाल में लगी 1,339 संस्थाएं जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत रजिस्टर्ड नहीं हैं।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। बाल अधिकारों पर चर्चा करने वालों के लिए यह सूचना चौंकाने वाली है। देश में बच्चों की देखभाल में लगी 1,339 संस्थाएं जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत रजिस्टर्ड नहीं हैं। इन संस्थाओं में उत्पीड़न के शिकार बच्चे रखे जाते हैं। बाल अधिकारों के लिए कार्य करने वाले नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
यह रिपोर्ट रांची में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के आश्रय गृह के संचालक द्वारा एक बच्चे को बेचे जाने पर चर्चा में आई है। नेशनल कमीशन के अनुसार देश में ऐसी 1,339 बाल देखभाल संस्थाएं कार्य कर रही हैं, जो रजिस्टर्ड नहीं हैं। इनमें से 1,165 केवल केरल में कार्य कर रही हैं। पूरे देश में आठ हजार से ज्यादा बच्चों की देखभाल करने वाली संस्थाएं कार्य कर रही हैं, इनमें से 5,850 ही रजिस्टर्ड हैं। इन संस्थाओं में करीब 2.33 लाख बच्चे रहते हैं।
रांची की घटना सामने आने के बाद नोबेल पुरस्कार प्राप्त बाल कल्याण का कार्य करने वाले कैलाश सत्यार्थी ने सरकार से मांग की है कि बच्चों से जुड़ी सभी संस्थाओं को अविलंब रजिस्टर्ड किया जाए। नेशनल कमीशन के सदस्य यशवंत जैन ने कहा है कि सभी राज्यों से इस सिलसिले में जल्द कदम उठाने के लिए कहा गया है। लेकिन कुछ राज्यों ने तत्परता दिखाई लेकिन बाकी के राज्यों ने कुछ खास नहीं किया।