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एक हजार करोड़ रुपए कर्ज की वसूली करेंगे जिला सहकारी बैंक, 87 हजार किसानों के ऊपर चढ़ा है कर्ज

राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक ने 38 जिला बैंकों के माध्यम से किसानों को दीर्घावधि कृषि ऋण दिया था। इसके लिए बैंक ने सरकारी की गारंटी पर नाबार्ड से उधार लिया था।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 06:19 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 06:19 PM (IST)
एक हजार करोड़ रुपए कर्ज की वसूली करेंगे जिला सहकारी बैंक, 87 हजार किसानों के ऊपर चढ़ा है कर्ज
एक हजार करोड़ रुपए कर्ज की वसूली करेंगे जिला सहकारी बैंक, 87 हजार किसानों के ऊपर चढ़ा है कर्ज

भोपाल, राज्य ब्यूरो। राज्य व जिला कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के एक हजार करोड़ रुपए कर्ज की वसूली अब जिला सहकारी केंद्रीय बैंक करेंगे। करीब 87 हजार किसानों के ऊपर यह कर्ज चढ़ा हुआ है, जो उन्होंने एकमुश्त समझौता योजना में ब्याज माफी की सुविधा देने के बाद भी नहीं चुकाया। बैंक को सरकार बंद कर चुकी है और कर्मचारियों का संविलियन भी दूसरे बैंकों में कर दिया है। कर्ज वसूली के एवज में बैंक को कुछ राशि मिलेगी। योजना को विभाग ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है।

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सूत्रों के मुताबिक राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक ने 38 जिला बैंकों के माध्यम से किसानों को दीर्घावधि (सात साल) कृषि ऋण दिया था। इसके लिए बैंक ने सरकारी की गारंटी पर नाबार्ड से उधार लिया था। किसानों ने ऋण की अदायगी नहीं की और बैंक पर धीरे-धीरे कर्ज का बोझ बढ़ता गया। वर्ष 2011 में बैंक ने कर्ज देना बंद कर दिया और जिन लोगों ने सावधि जमा किया था, उन्हें जैसे-तैसे मूलधन लौटाया गया।

उधर, नाबार्ड ने कर्ज वापसी के लिए सरकार पर दबाव बनाया तो साख बचाने के लिए सरकार ने किस्तों में 880 करोड़ रुपए लौटा दिए पर किसानों से वसूली नहीं हुई। जबकि इसके लिए ब्याज छोड़ने और एकमुश्त समझौता योजना भी लाई गई। एक लाख आठ हजार कर्जदार किसानों में से 90 हजार किसानों ने कर्ज चुकाने की लिखित सहमति भी दी पर चंद हजार किसानों ने ही कर्ज चुकाया। बैंक के पास अमानत के तौर पर किसानों की जमीन गिरवी तो रखी हुई है पर इसकी नीलामी पर रोक है, इसलिए शिवराज सरकार ने बैंक को बंद करने का निर्णय किया था, लेकिन वसूली लंबित ही रही।

उधर, बैंक बंद होने के बाद बिना काम वेतन ले रहे कर्मचारियों का कमलनाथ सरकार ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में संविलियन कर दिया और बैंक की संपत्ति को नीलाम करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं, किसानों से कर्ज वसूली के लिए जिला सहकारी केंद्रीय बैंक को एजेंसी बनाने का सैद्धांतिक निर्णय लिया गया है। इसके लिए बैंक के लेखों का हस्तांतरण जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को होगा। इसके लिए अलग खाता बनाया जाएगा। जो वसूली आएगी वो कोषालय में जमा कराई जाएगी।

बैंक के कर्मचारी अपनी वसूली के साथ-साथ जिला सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक का बकाया भी वसूलेंगे। सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह का कहना है कि किसानों से वसूली का काम सहकारी बैंक करेंगे। इसके आदेश जल्द ही जारी होंगे।


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