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Pulwama Terror Attack : हर शहीद के घर की मिट्टी लेकर पुलवामा पहुंचा यह शख्स

एडीजीपी सीआरपीएफ जुल्फिकार हसन ने कहा कि हमें शहीदों को कुर्बानी याद करने और आतंकवाद के समूल नाश के उनके मिशन को पूरा करने के हमारे संकल्प को और मजबूत बनाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 03:29 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 10:20 PM (IST)
Pulwama Terror Attack : हर शहीद के घर की मिट्टी लेकर पुलवामा पहुंचा यह शख्स
Pulwama Terror Attack : हर शहीद के घर की मिट्टी लेकर पुलवामा पहुंचा यह शख्स

लिथपोरा, पुलवामा। Pulwama Terror Attack Anniversary देश की एकता, अखंडता को बनाए रखने के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले सीआरपीएफ के 40 शहीदों को शनिवार को उनकी पहली बरसी पर पूरे देश ने श्रद्धांजलि अर्पित की। पेशे से गायक उमेशा गोपीनाथ जाधव ने जिस भावना और संकल्प के साथ उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है, वह शहीदों की शहादत की तरह ही सबके लिए प्रेरणास्रौत है, उसे जानकर किसी की भी आंखें नम हो जाएंगी। यह शख्स पिछले एक साल से लगातार पूरे देश में घूमा, पुलवामा के प्रत्येक शहीद के घर पहुंचा। उसके गांव-घर की मिट्टी ली और उसे लेकर शहीदों की कर्मभूमि पर पहुंचा। उसकी राष्ट्रभक्ति, शहीदों के मिशन के प्रति उसकी आस्था के मान को बढ़ाते हुए, सीआरपीएफ ने भी शहीद स्मारक स्थल पर उसके द्वारा लायी गई मिट्टी को प्रतिष्ठित किया।

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शहीद के घर जाकर वहां से उसकी मिट्टी लेकर पुलवामा पहुंचा: पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आज सुबह जब कृतज्ञ राष्ट्र को उनका शहीद स्मारक स्थल अर्पित किया गया तो उमेश गोपीनाथ जाधव भी मौजूद थे। सीआरपीएफ ने उन्हें लिथपोरा में शहीद स्मारक स्थल के उदघाटन समारोह में विशेष अतिथि के रुप में बुलाया था। प्रत्येक शहीद के घर जाकर वहां से उसकी मिट्टी लेने के लिए उन्होंने 61 हजार किलोमीटर की यात्रा की। श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर दक्षिण कश्मीर में लिथपोरा,पुलवामा में 14 फरवरी 2019 की दोपहर को करीब तीन बजे जैश ए मोहम्मद के आत्मघाती आतंकी ने विस्फोटकों से भरी कार के साथ सीआरपीएफ काफिले पर हमला किया था। इस हमले में 40 सीआरपीएफ कर्मी शहीद हो गए थे। हमलावर के भी परखच्चे उड़ गए थे। बीते डेढ़ दशक के दौरान कश्मीर में यह अब तक का सबसे बड़ा आत्मघाती हमला था।

मिट्टी को यहां युद्ध स्मारक में इस्तेमाल किया गया : शहीद सीआरपीएफ कर्मियों का स्मारक स्थल उनके बलिदान स्थल से करीब 200 मीटर दूर स्थित सीआरपीएफ के लिथपोरा कैंप परिसर के भीतर ही बनाया गया है। शहीद स्मारक स्थल को एडीजीपी सीआरपीएफ जुल्फिकार हसन ने आज राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने उमेश जाधव को भी सम्मानित किया। शहीद स्मारक स्थलके उद्घाटन के बाद एक बातचीत में उमेशा जाधव ने कहा हम इन शहीदों और इनके परिजनों के हमेशा कर्जदार हैं। मुझे पुलवामा के प्रत्येक शहीद के परिवार से मुलाकात करने और उनका आशिर्वाद प्राप्त करने का गौरव है। मां-बाप ने अपने बच्चों को गंवाया, सुहागिनों ने अपने सुहाग की कुर्बानी दी, बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया, कईयों ने दोस्त खोए। मैंने हर शहीद के घर की मिट्टी ली , मैंने उस श्मशान भूमि की मिट्टी भी जमा की,जहां उनकी अंत्येष्टी हुई थी। इस मिट्टी को यहां युद्ध स्मारक में इस्तेमाल किया गया है। यह मिटटी यहां रखी गई है। यह हम सभी को इन शहीदों के बलिदान को सदैव याद रखने और इस देश को आतंकवाद मुक्त बनाए रखने के लिए प्रेरणा देती रहेगी।

इन शहीदों की शहादत के आगे हर सम्मान फीका : उन्होंने कहा कि मैंने जो किया, किसी को खुश करने के लिए नहीं किया, न कोई सम्मान पाने के लिए। इन शहीदों की शहादत के आगे हर सम्मान फीका है। मुझे शहीदों के घर से मिट्टी लेने के लिए किसी ने नहीं कहा, न किसी ने मुझे दान दिया और न किसी ने कोई वित्तीय मदद की। मैने भी मदद नहीं मांगी। मेरा उद्देश्य हमले में शहीद जवानों को सम्मान और श्रद्धांजली देना था। यह शहीदों की मातभृमि की मिट्टी है, इसके लिए मैने 61 हजार किलोमीटर की यात्रा की है। शहीदों के घर पहुंचना आसान नहीं था, कई तो बहुत ही दूर दराज के इलाकों में रहते हैं। कई बार मैं अपनी कार के भीतर ही सोया, कई बार शहीदों के परिजनों के पास ही रात गुजारी, उनके अनुभव सुने। उनके साथ बैठ उनकी भावनाओं को समझने का प्रयास किया।

करीब एक सप्ताह पहले मेरी यह तीर्थयात्रा पूरी हुई : मूलत: महाराष्ट्र के औरंगाबाद के रहने वाले उमेश गोपीनाथ जाधव ने कहा कि मैं बचपन से सेना में शामिल होना चाहता था, लेकिन नहीं हो पाया। मैं अपने दोनों बच्चों को भी फौज में भेजूंगा। उसने पुलवामा हमले के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि मैं अजमेर में एक शो में हिस्सा लेने के बाद घर पहुंचा था। मैने टीवी चैनलों पर खबर को देखा, जो तस्वीरें देखी, उससे मेरा दिल द्रवित हो उठा। मैंने सोचा की मुझे शहीदों और उनके परिजनों के लिए कुछ करना चाहिए। बस मेरी तीर्थयात्रा शुरु हो गई, पिछला पूरा साल मैंने प्रत्येक शहीद के घर जाने में व्यतीत किया। करीब एक सप्ताह पहले मेरी यह तीर्थयात्रा पूरी हुई और आज यहां हूं। जो जमा किया,वह सब इस कलश में हैं जो मैने आज यहां सौंपा है।

एडीजीपी सीआरपीएफ जुल्फिकार हसन ने कहा कि आज का दिन बहुत अहम है। यह हमें शहीदों को कुर्बानी याद करने और आतंकवाद के समूल नाश के उनके मिशन को पूरा करने के हमारे संकल्प को और मजबूत बनाता है। उन्होंने कहा कि गोपीनाथ के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि हमने उन्हें आज इस समारोह मे विशेष तौर पर आमंत्रित किया है। उन्होंने जिस तरीके से प्रत्येक शहीद के घर जाकर वहां से मिट्टी लायी है,वह उनकी भावना, वह इस राष्ट्र के आमजन की भावना है, यह सभीको प्रेरणा देती है।


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