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तंत्र के गण: चंबल के खूंखार ददुआ के ‘सफाये’ से लेकर ठोकिया को ‘ठोकने’ तक की रोमांचक कहानी

एक समय था जब चंबल के डकैतों के किस्से दुनियाभर में मशहूर हो जाया करते। गब्बर से लेकर फूलन तक और ददुआ से लेकर ठोकिया तक, बीहड़ के डाकुओं ने कानून को धता बता रखा था।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 25 Jan 2019 10:42 AM (IST)Updated: Fri, 25 Jan 2019 10:44 AM (IST)
तंत्र के गण: चंबल के खूंखार ददुआ के ‘सफाये’ से लेकर ठोकिया को ‘ठोकने’ तक की रोमांचक कहानी
तंत्र के गण: चंबल के खूंखार ददुआ के ‘सफाये’ से लेकर ठोकिया को ‘ठोकने’ तक की रोमांचक कहानी

कानपुर [अनुज शुक्ल]। सद्रक्षणाय खलनिग्रहणाय... मुंबई पुलिस का यह ध्येय वाक्य पुलिसिंग के ध्येय को बयां कर देता है। सज्जनों की रक्षा और दुर्जनों पर लगाम। यही पुलिस यानी लोक प्रहरी का कर्तव्य है। पुलिस दरअसल न्याय व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण कड़ी भी है। अपराधी को सजा दिलाना उसका काम है लेकिन सजा देना नहीं। हां, खूंखार अपराधियों को काबू करने में सख्ती बरतना मजबूरी हो सकती है, जिसमें पुलिसकर्मी जान का जोखिम उठाते हैं। बेहतर पुलिसिंग अपराधियों के लिए खौफ का पर्याय है तो सज्जनों के लिए मित्र, सेवक और रक्षक। भारत में बेहतर पुलिसिंग का आदर्श प्रस्तुत कर दिखाने वाले ऐसे ही कुछ कर्तव्यनिष्ठ लोक प्रहरियों के बेहतर कार्यों की बानगी।

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एक समय था जब चंबल के डकैतों के किस्से दुनियाभर में मशहूर हो जाया करते। गब्बर से लेकर फूलन तक और ददुआ से लेकर ठोकिया तक, बीहड़ के डाकुओं ने कानून को धता बता रखा था। डकैतों की बोली आइपीएस अनंत देव तिवारी की गोली ने खामोश कर दी।

अपराधी खुद चले जाते जेल
अनंत देव ने महीनों चंबल में डेरा जमाकर ददुआ और ठोकिया जैसे डकैत और उनके गिरोह के दुर्दांत दस्यु मार गिराए। बीहड़ और यूपी में दस्यु या गैंगेस्टर ही नहीं, मुंबई जाकर आंतकी भी अपनी एके-47 से भी मार गिराए। वहीं कानपुर में पिछले आठ माह में 111 आपराधिक मुठभेड़ का निर्देश कर अपराधियों को पहले अस्पताल और बाद में सलाखों के पीछे पहुंचाया। इसी का नतीजा है कि अनंत देव जिस शहर में जाते हैं, अपराध का ग्राफ गिरने के साथ ही अपराधी या तो शहर छोड़ देते हैं या फिर जमानत कटाकर जेल चले जाते हैं।

ऐसे किया ददुआ को ढेर
अनंत बताते हैं, वह एएसपी एसटीएफ थे। पाठा के बीहड़ों में (चंबल) में जुलाई 2007 में 24 घंटे बिना खाए-पीये सरकार के समानांतर अपने नियम कानून चलाने वाले डकैत ददुआ की तलाश कर रहे थे, तभी चित्रकूट मानिकपुर के पास डाकू छोटा पटेल गिरोह से मुठभेड़ हो गई। उन्होंने चार डकैत मार गिराए गए। सुबह करीब नौ बजे जब टीम इसकी लिखा पढ़ी कर रही थी, तभी सूचना मिली की ददुआ सुबह नौ बजे झलमल जंगल में है। टीम ने घेराबंदी की। दोनों तरफ से करीब डेढ़ घंटे तक गोली चली। फायरिंग में ददुआ, अपने छह साथियों समेत मारा गया। जबकि राधे समेत 19 डाकू भाग निकले।

खाई थी ठोकिया को ठोकने की कसम
बकौल अनंत देव, ददुआ के सफाये की खुशी मनाने की तैयारी ही चल रही थी कि ठोकिया ने ऑपरेशन में लगी दूसरी टीम के छह जवानों को गोली मार दी। इसके बाद अनंत ने कसम खाई कि जब तक ठोकिया को ठोक नहीं देंगे, ददुआ को मार गिराने का जश्न नहीं मनाया जाएगा। इसके लिए टीम ने करीब 13 महीने तक जंगल की खाक छानी। चार अगस्त 2008 में सिलखोरी के जंगल में 24 जवानों की टीम संग उन्होंने ठोकिया को मार गिराया। इस ऑपरेशन में डकैतों के 15 गैंग का सफाया किया गया। इसमें 32 दस्यु गोली का शिकार हुए, तो 100 से ज्यादा जेल भेजे गए।

विधायक के हत्यारों को मार गिराया
बावरियों के बीच रहकर उनकी हर गतिविधि से वाकिफ अनंत देव तिवारी को सहारनपुर, उप्र के सरसावा से विधायक निर्भयपाल शर्मा की हत्या का केस सॉल्व करने की जिम्मेदारी तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ ने सौंपी। उन्होंने हत्या में शामिल काली चरण बावरिया गिरोह के आठ शातिर जौनपुर में मार गिराए। जबकि आठ को गिरफ्तार किया। इसके साथ ही अपहृत गोरखपुर के कोयला व्यापारी जुगल किशोर जालान को भी मुक्तकराया। उन्हें नेपाल में रखकर पांच करोड़ फिरौती मांगी थी। उन्हें सकुशल बरामद करने के बाद इस कांड में शामिल आरोपितों को कुछ माह बाद एनकाउंटर में मार गिराया। ऐसे ही लखनऊ के व्यापारी संजय झुनझुनवाला, नोएडा के उद्योगपति कपिल गुप्ता, कोलकाता के उद्यमी राजेश दीवान के बेटे प्रतीक दीवान जैसे अपहरण कांड का भी खुलासा किया।

आतंकियों पर भी बरसी गोली
अप्रैल 2001 में पाक आतंकी संगठन जैशए-मोहम्मद व लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी बाबर, इमरान समेत तीन को मार किया। इनके पास से राकेट लांचर, एके-47, हैंड ग्रेनेड और आरडीएक्स भी बरामद हुआ। वहीं, मुंबई में पाकिस्तानी एजेंट को मुठभेड़ में मार गिया और दो दर्जन पाकिस्तानी एजेंट व स्लीपिंग माड्यूल्स को जेल भेजा।

संभ्रांत पुलिस : 4 माह में 5 हजार एस-10
आइपीएस अनंत देव अपराध को एक रोग मानते हैं। कहते हैं, इसका इलाज न होना घातक है। अपराधियों को उनकी भाषा में समझाना और आम जनता को प्यार व स्नेह से समझाया जाना चाहिए। उन्होंने जनता में पुलिस की गिरती छवि को दूर करने के लिए कम्युनिटी पुलिसिंग पर जोर दिया। इसीलिए, जिस भी जिले में तैनाती रही। वहां एस-10 (सभ्रांत पुलिस) बनाई। इसमें जनता ही शामिल है और लाभ ये मिला कि जहां यह टीम है, वहां कोई विवाद नहीं होता। यदि हुआ भी तो समय रहते शांत करा लिया जाता है। इस टीम में कानपुर में ही चार माह में पांच हजार लोग जुड़ चुके है। रावतपुर घटना में इस टीम ने माहौल बिगड़ने से बचा लिया था।

कर्तव्य के जज्बे से भरा हर पुलिसकर्मी है सुपर कॉप
आ इपीएस अमिताभ यश ने उत्तर प्रदेश एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) में रहकर तीन दर्जन से अधिक डकैतों का खात्मा किया। बीहड़ में तैनाती के दौरान उनके निर्देशन में ही एसटीएफ टीमों ने लगभग 18 गिरोहों का सफाया किया था और फिरौती के लिए अपहरण करने वाले 100 से अधिक अपराधियों को मार गिराया था। उनके एसटीएफ और एसएसपी के सवा दो साल के कार्यकाल में 65 से अधिक अपराधियों का सफाया किया गया था। लिहाजा उन्हें सुपर कॉप और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहा जाने लगा।

अपराधियों पर सख्ती के कारण अमिताभ यश का कई बार तबादला हुआ, लेकिन उन्होंने अपनी कार्यशैली में कतई बदलाव नहीं किया। बीहड़ से लेकर महानगर तक, अमिताभ ने कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों पर सख्ती बरती। मूल रूप से बिहार के रहने वाले अमिताभ यश अपने सेवाकाल की आधी अवधि एसटीएफ में रहे और इस दौरान 36 से भी ज्यादा अपराधियों को मार गिराया। इसके अलावा कई दर्जन एनकाउंटर करने वाली टीमों को उन्होंने गाइड और लीड किया।

अपराधियों के लिए खौफ का दूसरा नाम बन जाने वाले अमिताभ कहते हैं, अपराधी पुलिस और कानून से खौफ खाएं ये सभी के हित में है और सभी यही चाहते भी हैं। लेकिन यह केवल एक पुलिस अफसर के बूते की बात नहीं। यह केवल टीम वर्क से ही होता है। हां एक अच्छी टीम अच्छे परिणाम देती है। लेकिन हर पुलिसकर्मी की व्यक्तिगत बहादुरी, रणनीति कौशल, उसका जज्बा और समाज के लिए बेहतर करने की उसकी जिजीविषा ही इसमें काम आती है। हमारा यही उत्साह अपराधियों मेंभय पैदा करता है।

पुलिसिंग कोई एकल विधा नहीं है। ये टीम वर्क है। इसमें सभी की अपनी-अपनी भूमिका है। इसलिए हर कर्तव्यनिष्ठ पुलिस वाला सुपर कॉप है।
अमिताभ यश, आइपीएस, एडीजी
एसटीएफ, उप्र पुलिस


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