अमेरिका के भित्ति चित्रों से मेल खाते हैं यह फर्टिलिटी कल्ट, जानें आदिमानव से कैसे जुड़ा है इनका रहस्य
इन भित्ति चित्रों से स्पष्ट होता है कि पुरापाषाण युग के आदिमानव को अपनी शारीरिक रचना के संबंध में ज्ञान था। इतिहास में इस तरह के चित्र को फर्टिलिटी कल्ट के नाम से जाना जाता है।
रवींद्र थवाइत, जशपुरनगर। पुरापाषाण युग को लेकर जशपुर में चल रहे शोध के बाद भारत के साथ विश्व के इतिहास का अध्याय बदल जाएगा। जशपुर के इतिहास पर शोध कर रहे पीएचडी के तीन शोधार्थियों की मानें तो पुरापाषाण युग से जुड़े कुछ ऐसे भित्त चित्र और पुरावशेष यहां पाए गए हैं जो अब तक विश्व में कहीं नहीं पाए गए। झारखंड निवासी अंशुमाला तिर्की, अक्षय घूमे और झारखंड निवासी बालेश्वर कुमार बेसरा का दावा है कि जशपुर के जयमरगा और देशदेखा में जो पुरापाषाण युगीन गुफाएं व भित्तचित्र मिले हैं, वह इस युग के अध्याय को नए सिरे से लिपिबद्ध करने के लिए इतिहासकारों को मजबूर कर देंगे। इन शोधार्थियों के मुताबिक देशदेखा में आदिमानव के जो भित्ति चित्र मिले हैं उनमें मनुष्य के यौनांगों का चित्रण होने के साथ महिलाओं के मासिक धर्म को भी दर्शाया गया है। इन भित्त चित्रों से स्पष्ट होता है कि पुरापाषाण युग के आदिमानव को अपनी शारीरिक रचना के संबंध में ज्ञान था। इतिहास में इस तरह के चित्र को फर्टिलिटी कल्ट के नाम से जाना जाता है। इस तरह के कल्ट अमेरिका के कैलिफोर्निया में पाए गए है, लेकिन जशपुर में इसकी संख्या अधिक है।
इसलिए खास है जशपुर का भित्ती चित्र
जिले में मिले पुरापाषाणकालीन भित्ति चित्र को आदिमानव ने चट्टान और पत्थरों में तराश कर बनाया है। शोधार्थियों का कहना है कि यह युग पूर्व लौहकालीन है अर्थात पुरापाषाण काल में मनुष्य लोहा की खोज नहीं कर पाया था और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से पत्थर पर निर्भर था। ऐसे में अब इस तथ्य पर अलग से अध्ययन करने की आवश्यकता है कि इन भित्त चित्रों को किस प्रकार तराशा गया होगा। इस अध्ययन का परिणाम पुरापाषाण युग को लेकर अब तक किए गए अध्ययन की पूरी दशा और दिशा बदल सकती है।
जिले के इन स्थानों पर मिले हैं पुरातात्विक अवशेष
शोधार्थियों को पत्थलगांव के खरकट्टा के अलावा जशपुर तहसील के देशदेखा, रानीदाह, झरगांव, मनोरा तहसील के जयमरगा और दुलदुला तहसील के सराईटोली और बड़ालता में इस तरह के कई पुरातात्विक अवशेष मिले हैं।
इस तरह समझें पुरापाषाण काल को
पांच लाख ईसा पूर्व से 2500 ईसवी तक के काल को प्रागैतिहासिक काल माना जाता है। इस काल में मनुष्य का बंदर से आधुनिक स्वरूप में आने का सफर तय हुआ। अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने मनुष्य पत्थर पूरी तरह से पत्थर पर निर्भर था। इसलिए इसे पाषाण काल के नाम से जाना जाता है। विकास और बदलती हुई परिस्थिति के अनुसार इस काल को पुरापाषाण, मध्यपाषाण और नवपाषाण युग में विभाजित किया गया है।
इसलिए बनाए जाते थे फर्टीलिटी कल्ट
आदिमानव के फर्टीलिटी कल्ट निर्माण के पीछे का रहस्य अभी पूरी तरह से नहीं खुल सका है। शोधार्थी बेसरा का मानना है कि शिशु मृत्यु दर को रोकने अथवा संतान प्राप्ति की इच्छा से इस तरह के कल्ट का निर्माण किया गया होगा। अभी इस पर भी पर्दा पड़ा है कि आखिर पाषाण काल में चट्टान को घिसने के लिए कौन से पत्थर का प्रयोग आदिमानवों द्वारा किया जाता था।
जशपुर के कलेक्टर निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर ने बताया कि शोधकर्ताओं के अध्ययन से जिले में पाषाणकालीन पुरावशेष उजागर हुए है। इनके अध्ययन के साथ इन्हें संरक्षित करने का काम किया जाएगा। इन अवशेषों को सुरक्षित रखने के लिए म्यूजियम का निर्माण किए जाने का प्रस्ताव है।