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जीन मैप से चला पता, गर्मी और सूखे में कैसे बची रहती है यह फसल

30 शोध संस्थानों में 65 वैज्ञानिकों ने बाजरे के जीनोम को डीकोड किया..वैज्ञानिकों ने भविष्य के लिए महत्वपूर्ण रणनीतियों को भी तैयार किया...

By Srishti VermaEdited By: Published: Wed, 20 Sep 2017 09:50 AM (IST)Updated: Wed, 20 Sep 2017 10:04 AM (IST)
जीन मैप से चला पता, गर्मी और सूखे में कैसे बची रहती है यह फसल
जीन मैप से चला पता, गर्मी और सूखे में कैसे बची रहती है यह फसल

नई दिल्ली (प्रेट्र)। वैज्ञानिकों के एक समूह ने यह पता लगाने में सफलता हासिल की है कि बाजरा किस तरह अत्यधिक गर्मी और सूखे में खुद को बचा पाने में सफल रहता है। इसके लिए 30 शोध संस्थानों में 65 वैज्ञानिकों ने बाजरे के जीनोम को डीकोड किया। उनका दावा है कि इस शोध से मौजूदा वैश्विक जलवायु परिवर्तन और खाद्य संकट के इस दौर में अन्य अनाज के उत्पादन को बढ़ावा मिल सकता है।

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शोधकर्ताओं का कहना है कि वातावरण में बढ़ते तापमान और गर्म तरंगों की बढ़ती संख्या के कारण प्रमुख फसलों के उत्पादन में कमी आना तय है। ऐसे में यह शोध इस कमी को रोकने में मदद करेगा। वैज्ञानिकों ने जीनोम को डीकोड करने के बाद भविष्य के लिए महत्वपूर्ण रणनीतियों को भी तैयार किया है। गौरतलब है कि बाजरे का उत्पादन 42 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाले इलाकों में भी होता है। इस शोध का प्रकाशन नेचर बायोटेक्नोलॉजी जर्नल में किया गया है।

शोध में तेलंगाना स्थित इंटरनेशनल क्राप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फार सेमी आर्बिड ट्रापिक्स, चीन के बीजीआइ शेनजेन और फ्रांस के नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट फार सस्टेनेबल डेवलपमेंट का विशेष योगदान रहा। शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने उन आणविक मार्कर की पहचान की जो सूखे और गर्मी को सह पाने की क्षमता से संबंधित थे। इन आनुवंशिक टूल की मदद से अन्य फसलों को भी गर्मी सहने के योग्य बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है। शोधकर्ताओं का यह भी कहना था कि इन मार्कर की सहायता से अफ्रीका और एशिया के शुष्क और अद्र्ध शुष्क इलाकों में बाजरे का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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