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...तो अपने ही सैनिकों की दुश्मन बन जाती ये भारतीय तोप

परीक्षण में बैरल में क्रेक आया तो कुछ कर्मियों ने इसे मानक से कमजोर बताया था, लेकिन बाद में इन्हें ही असेंबल कर दिया गया।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Sun, 23 Jul 2017 12:07 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jul 2017 03:29 PM (IST)
...तो अपने ही सैनिकों की दुश्मन बन जाती ये भारतीय तोप
...तो अपने ही सैनिकों की दुश्मन बन जाती ये भारतीय तोप

जबलपुर, नई दुनिया।  बोफोर्स तोप के स्वदेशी वर्जन धनुष में लगने वाले कलपुर्जो की जांच के लिए गन कैरिज फैक्टरी (जीसीएफ) में तीन पाइंट तय किए हुए थे, लेकिन एक के बाद एक हर पाइंट से चीनी बेयरिंग पास होते चले गए। खास बात यह है कि तोप में लगने के बाद अंतिम परीक्षण के दौरान भी किसी ने इसे नहीं देखा। यही वजह रही कि मेड इन जर्मनी के बजाय इसमें मेड इन चाइना के बेयरिंग लोड कर दिए गए। परीक्षण के दौरान बैरल के मजल फटने के बाद अफसरों की आंखें खुलीं तब यह पूरा मामला पक़़ड में आया।

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हो सकता था तोप में विस्फोट

बेयरिंग का काम बम के गोलों को लोड करना होता है। बम ठीक से लोड न हों और गन का पाइंट ऊपर-नीचे न हो तो तोप में ही विस्फोट हो सकता है। इस कारण बेयरिंग लगाने में यह लापरवाही देश के सैनिकों की ही जान की दुश्मन बन जाती। इतना ही नहीं, गन का पाइंट बदलने के कारण यह देश के सैनिकों, तोपों या लोगों पर ही चल सकती थी।

5 हजार से ज्यादा पा‌र्ट्स स्वदेश निर्मित

धनुषष तोप में पांच हजार से ज्यादा पा‌र्ट्स लगते हैं, लेकिन कुछ पा‌र्ट्स अभी भी विदेशों से मंगाने पड़ते हैं। इसमें से वायर रेस रोलर बेयरिंग प्रमुख है। विश्व में मेड इन जर्मनी के यह पा‌र्ट्स सबसे विश्वसनीय है। 2013 में इन्हें मंगाने के लिए टेंडर निकाले गए और 2014 में इनकी आपूर्ति की गई। इन पर सीआरडी मेड इन जर्मनी का ठप्पा लगा था।

परीक्षण में बैरल में क्रेक आया तो कुछ कर्मियों ने इसे मानक से कमजोर बताया था, लेकिन बाद में इन्हें ही असेंबल कर दिया गया। इसके बाद किसी भी स्तर पर इनकी जांच नहीं हुई। धनुष तोप बनने के बाद स्वतंत्र सैन्य परीक्षण के लिए इनके छह प्रोटोटाइप बनाकर सेना को सौंप दिए गए।

डे़ढ़ माह पहले धनुष तोप के बैरल में लगा मजल क्रेक हो गया जिससे इसके घटिया होने की बात सामने आई। सीबीआई ने इसे गंभीरता से लिया और जीसीएफ जबलपुर के कर्मचारी नेताओं से गुा जानकारी भी हासिल की। इस बीच एक साल पहले पोखरण फायरिंग रेंज में दूसरी धनुष तोप का मजल भी फट गया जिसके बाद सीबीआई ने तोप की जांच की तो मेड इन जर्मनी लिखे बेयरिंग के असल में मेड इन चाइना होने का राज खुल गया।

इन पर गिर सकती है गाज

स्वीडन की तोप का देशी वर्जन धनुष तोप को बनाने का प्रोजेक्ट शुरू करने वाले तत्कालीन जीएम और एजीएम पर गाज गिर सकती है। वर्ष 2013 से 2016 तक यहां पदस्थ रहे जीएम, ज्वाइंट जीएम, डीजीएम और ओएफके बोर्ड के डिप्टी डायरेक्ट जनरल जांच के घेरे में हैं।

कलपुर्जो के खरीदी के दस्तावेज सील, तोप बनाने का काम भी बंद

शनिवार दोपहर में जीएम एसके सिंह ने जीसीएफ का निरीक्षण किया और इसके बाद धनुष तोप के कलपुर्जों की खरीदी से संबंधित सभी दस्तावेज, स्टॉक सहित पूरा सेक्शन ही सील करा दिया। इसी के साथ तोप बनाने का काम भी बंद हो गया।

इससे पहले भी परीक्षण में तोप के बैरल का मजल दो बार परीक्षण में फट चुका है। खास बात यह है कि धनुष तोप की 70 फीसदी असेंबलिंग का काम जबलपुर की जीसीएफ फैक्टरी में ही हुआ है। जीसीएफ में 18 में से 12 तोपें अब तक तैयार हो चुकी हैं, जिनमें से 6 स्वतंत्र सैन्य परीक्षण के लिए पोखरण भेजी गई थीं।

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