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अंडमान-निकोबार में स्थापित होगा देश का तीसरा नौसैनिक अड्डा

हर साल करीब 1,20,000 मालवाही जहाज हिंद महासागर से गुजरते हैं। इनमें से 70,000 मलक्का जलडमरू मध्य के करीब से गुजरते हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 12:19 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 12:29 AM (IST)
अंडमान-निकोबार में स्थापित होगा देश का तीसरा नौसैनिक अड्डा
अंडमान-निकोबार में स्थापित होगा देश का तीसरा नौसैनिक अड्डा

नई दिल्ली, प्रेट्रभारत अपनी सीमा में स्थित दूरस्थ द्वीप समूह अंडमान और निकोबार में अपना तीसरा नौसैनिक अड्डा स्थापित करने जा रहा है। इससे उसके गश्ती विमान हिंद महासागर में प्रविष्ट होने वाले चीनी नौसेना के युद्धपोतों समेत सभी जहाजों पर मलक्का जलडमरू मध्य से ही नजर रख पाएंगे।

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चीन आक्रामक तरीके से नौसेना का विकास कर रहा है, श्रीलंका और पाकिस्तान के जरिये भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है। श्रीलंका में हंबनटोटा और पाकिस्तान के ग्वादर में चीन ने कारोबार के लिए बंदरगाह स्थापित किए हैं लेकिन जरूरत के वक्त उनका सैन्य इस्तेमाल करने से उसे कोई नहीं रोक पाएगा। भारत के लिए यही चिंता की बात है। इसी के चलते भारतीय नौसेना ने नई रणनीति बनाई है।

2014 में प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद नरेंद्र मोदी ने मजबूत भारत के निर्माण की घोषणा की थी। उसी के बाद नौसेना ने यह रणनीति तैयार की। नौसेना के अनुसार जल्द ही नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा आइएनएस कोहासा नाम के इस नए नौसैनिक अड्डे का उद्घाटन करेंगे। यह पोर्ट ब्लेयर से 300 किलोमीटर की दूरी पर होगा।

नौसेना के प्रवक्ता कैप्टन डीके शर्मा के अनुसार मौके द्वीप पर इस समय एक हजार मीटर की हवाई पट्टी है जिससे डोर्नियर सर्विलांस प्लेन और हेलीकॉप्टर उड़ सकते हैं। जल्द ही वहां तीन हजार मीटर लंबी हवाई पट्टी विकसित की जाएगी जिससे सभी तरह के लड़ाकू विमान उड़ सकेंगे।

हर साल करीब 1,20,000 मालवाही जहाज हिंद महासागर से गुजरते हैं। इनमें से 70,000 मलक्का जलडमरू मध्य के करीब से गुजरते हैं। नौसेना के पूर्व अधिकारी अनिल जयसिंह के अनुसार अगर हम हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी की निगरानी करना चाहते हैं तो हमें अंडमान-निकोबार में खुद को साधन संपन्न बनाना होगा। वहां पर हवाई अड्डा विकसित कर बड़े इलाके पर नजर रखी जा सकती है।

जरूरत पड़ने पर उसका सुरक्षा के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। चीन की साजिश के संकेत 2014 में तब मिल गए थे जब उसकी पनडुब्बी ने श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह के नजदीक लंगर डाल लिया था। तब भारत सरकार द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद श्रीलंका के अधिकारियों ने पनडुब्बी हटाने के लिए चीन से कहा था।


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