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Chandrayaan 2: चंद्रमा की तीसरी कक्षा में दाखिल, आगे इन चुनौतियों से होगा दो चार

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation ISRO) ने बुधवार को चंद्रयान-2 को चंद्रमा की तीसरी कक्षा में प्रवेश करा दिया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 28 Aug 2019 10:02 AM (IST)Updated: Wed, 28 Aug 2019 12:08 PM (IST)
Chandrayaan 2: चंद्रमा की तीसरी कक्षा में दाखिल, आगे इन चुनौतियों से होगा दो चार
Chandrayaan 2: चंद्रमा की तीसरी कक्षा में दाखिल, आगे इन चुनौतियों से होगा दो चार

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation, ISRO) ने बुधवार को चंद्रयान-2 को चंद्रमा की तीसरी कक्षा में प्रवेश करा दिया। इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 को चांद की तीसरी कक्षा में सुबह 09.04 बजे प्रवेश कराया। अब चंद्रयान-2 178 किलोमीटर की एपोजी और 1411 किलोमीटर की पेरीजी में चंद्रमा का चक्‍कर लगाएगा। बता दें कि Chandrayaan-2 20 अगस्त को चंद्रमा की पहली जबकि 21 अगस्‍त को दूसरी कक्षा में प्रवेश किया था।

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दो सितंबर को अगली चुनौती 
चंद्रयान-2 को चांद की सबसे करीबी कक्षा तक पहुंचाने के लिए चार कक्षीय बदलाव किए जाने थे जिनमें तीन बदलाव पूरे हो चुके हैं। अब 30 अगस्त की शाम को 6.00 से 7.00 बजे के बीच इसे 126x164 किलोमीटर की कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा। मिशन का अगला जरूरी पड़ाव दो सितंबर को होगा जब Lander Vikram, ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा। इसके बाद लैंडर विक्रम अपने भीतर मौजूद प्रज्ञान रोवर को लेकर चांद की ओर बढ़ना शुरू करेगा।

यान के साथ आर्बिटर को भी नियंत्रित करेंगे वैज्ञानिक 
इसमें सबसे बड़ी चुनौती यान की गति को कम करने के साथ साथ आर्बिटर को भी नियंत्रित करने की होगी। यानी वैज्ञानिकों को एक साथ आर्बिटर और लैंडर विक्रम की सटीकता के लिए काम करते रहना होगा। Chandrayaan-2  04 सितंबर को चांद के सबसे नजदीकी कक्षा में 35x97 होगा। अगले तीन दिनों तक लैंडर विक्रम इसी कम दूरी से चंद्रमा का चक्कर लगाता रहेगा। इस दौरान विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की जांच की जाती रहेगी। इस तरह 07 सितंबर को तड़के 1:55 बजे लैंडर विक्रम चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करेगा।

मैदानी हिस्‍से में लैंड करेगा लैंडर विक्रम 
लैंडर विक्रम दो गड्ढों, मंजि‍नस सी और सिमपेलियस एन के बीच वाले मैदानी हिस्‍से में लगभग 70° दक्षिणी अक्षांश पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करेगा। चंद्रमा की सतह पर लैंडिंगे वक्‍त लैंडर विक्रम की रफ्तार दो मीटर प्रति सेकंड होगी। इस दौरान 15 मिनट बेहद तनावपूर्ण होंगे। सुबह 3.55 बजे लैंडिंग के करीब दो घंटे के बाद लैंडर विक्रम से छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा। सात सितंबर को सुबह 5.05 बजे रोवर प्रज्ञान का सोलर पैनल खुलेगा जिसके जरिए उसे काम करने के ऊर्जा मिलेगी।

14 दिनों में 500 मीटर की दूरी तय करेगा 
रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से 14 दिनों तक चलने वाली अपनी यात्रा शुरू करेगा। यात्रा शुरू करने के 15 मिनट के भीतर ही इसरो को लैंडिंग की तस्वीरें मिलनी शुरू हो जाएंगी। रोवर प्रज्ञान 14 दिनों में कुल 500 मीटर की दूरी तय करेगा। इसके बाद यह निष्‍क्रिय हो जाएगा। प्रज्ञान से पहले चांद पर पांच रोवर भेजे गए हैं। इन्‍हें सोवियत यूनियन, अमेरिका, चीन आदि ने भेजा था। दूसरी ओर ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर उसकी परिक्रमा करता रहेगा। ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में एक साल तक सक्रिय रहेगा।  

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