इंद्रलोक हादसा: गांव में दी जाती थी इन तीनों की मिसाल
मोतीनगर स्थित आचार्य भिक्षु अस्पताल व इंद्रलोक के बीच की करीब दो किलोमीटर की दूरी शनिवार को लोगों के लिए कम पड़ गई। इंद्रलोक हादसे में जिन दस लोगों की जान गई, उनमें छह के शव यहीं अस्पताल में पड़े थे। इनमें से तीन शव एक ही गांव के रहने वाले तीन मौसेरे भाइयों के थे। वहीं तीन शव एक ही परिवार
पश्चिमी दिल्ली, [गौतम कुमार मिश्र]। मोतीनगर स्थित आचार्य भिक्षु अस्पताल व इंद्रलोक के बीच की करीब दो किलोमीटर की दूरी शनिवार को लोगों के लिए कम पड़ गई। इंद्रलोक हादसे में जिन दस लोगों की जान गई, उनमें छह के शव यहीं अस्पताल में पड़े थे। इनमें से तीन शव एक ही गांव के रहने वाले तीन मौसेरे भाइयों के थे। वहीं तीन शव एक ही परिवार के तीन बच्चों के थे। हादसे के बाद इंद्रलोक निवासियों की भीड़ अस्पताल में जुट गई। यहां किसी की जुबां पर तीनों युवकों की कहानी तो किसी की जुबां पर तीनों बच्चों से जुड़ी बातें थीं।
इस हादसे में जान गंवाने वाले बिहार के दरभंगा निवासी एजाज, इम्तियाज व उजाले अपने गांव का नाम रोशन करना चाहते थे। तीनों की ख्वाहिश थी कि उनके गांव का नाम विकास की तर्ज पर सुर्खियां बटोरे। दरभंगा जिले के छर्रापट्टी स्थित अपने पैतृक गांव से तीनों एक सप्ताह पूर्व ही दिल्ली पहुंचे थे। तीनों की पक्की दोस्ती की गांव में मिसाल दी जाती थी।
एजाज ने गेट्रर नोएडा स्थित एक प्रबंधन संस्थान में एमबीए कोर्स में दाखिला ले लिया था। वहीं इम्तियाज गुड़गांव स्थित एक निजी कंपनी में बतौर एकाउंटेंट कार्य करता था। एजाज व इम्तियाज जब गांव से आने लगे तो इन्होंने उजाले को भी अपने साथ ले लिया। उजाले पहली बार दिल्ली आया था। इम्तियाज की छुट्टी दो दिन बाद खत्म होने वाली थी। जिसके बाद वह गुड़गांव चला जाता। इम्तियाज व उजाले के आग्रह पर वह इंद्रलोक में ही रुक गया था। जब पांच मंजिली इमारत भरभराकर गिर रही थी, तब तीनों सो रहे थे। पूछताछ में पता चला कि जिस कमरे में तीनों रह रहे थे, उसमें इन दिनों पांच लोग रहते थे। इनके अलावा इम्तियाज के बड़े भाई एतसाम व उनका दोस्त तनवीर। घटना के समय दोनों घर से बाहर थे।