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इको फ्रेंडली दिवाली मनाने के लिए महिलाएं आईं आगे, गाय के गोबर से बना रहीं दीये

बहुत सारी महिलाएं जो कभी खुद के लिए कमाने के बारे में नहीं सोचती थीं अब यहां सुंदर इको फ्रेंडली गाय के गोबर के दीये बनाकर अच्छी कमाई कर रही हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 27 Oct 2019 05:01 PM (IST)Updated: Sun, 27 Oct 2019 05:18 PM (IST)
इको फ्रेंडली दिवाली मनाने के लिए महिलाएं आईं आगे, गाय के गोबर से बना रहीं दीये
इको फ्रेंडली दिवाली मनाने के लिए महिलाएं आईं आगे, गाय के गोबर से बना रहीं दीये

रायपुर, एएनआइ। पूरे देश में दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। इको फ्रेंडली दिवाली मनाए जाने को लेकर इस बार लोग कुछ ज्यादा ही सजग हैं। इको फ्रेंडली दिवाली को बढ़ावा देने कि लिए छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में महिलाओं का एक ग्रुप तेजी से काम कर रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्था बन चरौदा में स्वयं सहायता समूह (SHGs) की महिलाएं लोगों को स्वच्छ और हरियाली दीवाली मनाने में मदद करने के लिए गोबर से लगभग 2 लाख पर्यावरण के अनुकूल दीये बना रही हैं। बहुत सारी महिलाएं जो कभी खुद के लिए कमाने के बारे में नहीं सोचती थीं, अब यहां सुंदर इको फ्रेंडली गाय के गोबर के दीये बनाकर अच्छी कमाई कर रही हैं।

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दो लाख दीयों का मिला ऑर्डर

स्वयं सहायता समूह की सदस्य ममता चंद्राकर ने कहा कि हमने 9 सितंबर से इन दीयों को बनाना शुरू कर दिया और इस पूरे काम को गांव के एसोसिएशन लीला शक्ति द्वारा किया जा रहा है। हमें 2 लाख दीयों का ऑर्डर मिला है और हम इस पर काम कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम भगवान की मूर्तियां बनाते हैं। गोबर और प्रीमिक्स पाउडर से बने अन्य सामान को भी बनाते हैं।

वहीं, ममता ने कहा कि हम इन दीयों को बहुत ही कम कीमत पर बेच रहे हैं। छोटे दीये पांच रुपये के हैं और रंगीन दीये दस रुपये के हैं। इन गाय के गोबर के दीयों को पहले ही कई शहरों से थोक में ऑर्डर मिल चुका था।

गौरतलब है छत्तीसगढ़ में कोंडागांव जिले के गांव बड़े कनेरा की महिलाओं की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। कुछ समय पहले तक यह महिलाएं खेतों में काम करतीं, घर संभालतीं और गोठान में गाय का गोबर उठाते नजर आती थीं। इन्हीं महिलाओं ने आज गाय के गोबर को अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति मजबूत करने का जरिया बना लिया है। गांव की महिलाओं का एक समूह इस काम में लगा है और ये गोबर से आकर्षक दीए बनाने के साथ-साथ कई तरह की कलात्मक चीजें बना रही हैं। इनकी इस कलात्मक्ता के कद्रदान भी बहुत हैं। कोंडागांव की यह कला अब पूरे देश में अपनी पहुंच बना रही है।

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