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...ताकि सुरक्षित हो यात्रियों का सफर

सालों साल रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए बजटीय भाषण से इतर रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने पहली बार इसके लिए ठोस कार्ययोजना की रूपरेखा पेश की है। रेल की सुरक्षित यात्रा के लिए पांच वर्षीय योजना के पहले चरण में इस साल करीब 3500 मानव रहित रेलवे क्रासिंग को बंद

By anand rajEdited By: Published: Fri, 27 Feb 2015 11:27 AM (IST)Updated: Fri, 27 Feb 2015 11:57 AM (IST)
...ताकि सुरक्षित हो यात्रियों का सफर

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। सालों साल रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए बजटीय भाषण से इतर रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने पहली बार इसके लिए ठोस कार्ययोजना की रूपरेखा पेश की है। रेल की सुरक्षित यात्रा के लिए पांच वर्षीय योजना के पहले चरण में इस साल करीब 3500 मानव रहित रेलवे क्रासिंग को बंद किया जाएगा या उन पर पुल बनाया जाएगा। हैरानी की बात यह है कि इसके पहले रेलवे क्रासिंग समाप्त करने की रफ्तार सालाना 150 से भी नीचे रही है।

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अप्रैल तक हो जाएगी सिफारिशों की पड़ताल

रेलवे सुरक्षा की अहमियत को रेखांकित करते हुए प्रभु ने कहा कि ‘हर व्यक्ति का जीवन अमूल्य है और किसी एक व्यक्ति के भी जीवन की क्षतिपूर्ति असंभव है।’ उन्होंने संकेत दिया कि अगले पांच सालों में दुघर्टना रहित सफर का सपना साकार हो सकता है। इसके लिए डा. अनिल काकोडकर की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय सेफ्टी रिव्यू समिति की सिफारिशों की पड़ताल अप्रैल तक पूरी हो जाएगी।

विकसित हो रहा है चेतावनी उपकरण

सरकार का उद्देश्य बिना चौकीदार वाले क्रासिंग को पूरी तरह खत्म करने की है। लेकिन फौरी तौर पर रेलवे विकास व मानक संगठन को इसरो के साथ मिलकर ऐसे उपकरण विकसित करने को कहा गया है जिससे मानवरहित फाटकों पर दृश्य-श्रव्य चेतावनी दी जा सके। इन फाटकों पर आइआइटी कानपुर की सहायता से एक रेडियो आधारित सिग्नल प्रणाली विकसित करने पर भी काम चल रहा है।

निर्माण को दी जा चुकी है मंजूरी

प्रभु की सबसे अधिक महात्वाकांक्षी योजना एक साल के भीतर 970 क्रासिंग पर ओवरब्रिज या अंडरपास बनाने और 3438 क्रासिंग को खत्म करने के लिए जरूरी निर्माण करने की है। इसके पहले इस समस्या को कभी इतनी तवज्जो नहीं दी गई थी। मजेदार बात यह है कि यह सिर्फ बजटीय घोषणा नहीं है, बल्कि इसके निर्माण को स्वीकृति भी दी जा चुकी है।

दुर्घटनाएं रोकने के लिए नई प्रणाली विकसित करना

इसके साथ ही सवारी डिब्बों में आगजनी की घटनाएं रोकने और दुघर्टना की स्थिति में डिब्बों के एक-दूसरे पर चढ़ जाने से रोकने की नई प्रणाली विकसित करने की जिम्मेदारी रेलवे विकास व मानक संगठन को दिया गया है। जल्द ही चुनिंदा मार्गो पर गाड़ी सुरक्षा चेतावनी प्रणाली और गाड़ी टक्कर बचाव प्रणाली भी लगाए जाएंगे। प्रभु ने पटरी की जांच के लिए डिजिटल मशीनों का इस्तेमाल करने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि गाड़ी को पटरी से उतरने से रोकने के लिए भविष्य में अपेक्षाकृत भारी पटरियों और अत्याधुनिक वेल्डिंग तकनीक का उपयोग किया जाएगा।

महिलाओं की सुरक्षा पर तीसरी आंख रखेगी नजर

सरकार ने बता दिया है कि महिला सुरक्षा उसकी प्राथमिकता है। रेल में महिलाओं का सफर सुरक्षित करने के लिए तीसरी आंख के जरिए निगरानी की जाएगी। इसके लिए महिलाओं के डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। 2015-16 के रेल बजट में सुरेश प्रभु ने महिलाओं के डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रावधान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि सीसीटीवी कैमरे लगाते समय इस बात का खास ध्यान रखा जाएगा कि महिलाओं की निजता भंग न हो। फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत मेनलाइन के चुनिंदा सवारी डिब्बों और उपनगरीय गाड़ियों में ही ये कैमरे लगेंगे। इस पर आने वाले खर्च का कुछ हिस्सा निर्भया फंड से लिया जाएगा। दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए 1000 करोड़ रुपये के निर्भया फंड की घोषणा की थी। महिला डिब्बों में सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए इससे पैसा लेने की बात कही गई है, लेकिन कितना पैसा लिया जाएगा यह अभी यह तय नहीं है।

चाहिए 17 हजार कांस्टेबल

पिछले रेल बजट में भी संप्रग सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा पर खासा जोर दिया गया था। उसमें रेलवे सुरक्षा बल में 17000 कांस्टेबलों की भर्ती की घोषणा की गई थी। महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इनमें से 4000 पदों पर महिलाओं की भर्ती होनी थी।

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