गणेशजी के इस मंदिर की दीवार पर हिंदू लगा रहे चांदी, मुस्लिम लगा रहे सोना
जयपुर के मोती डूंगरी गणेश मंदिर में पिछले दो दशक से 5 मुस्लिम कारीगर हर साल साफ-सफाई का काम करते आ रहे हैं।
जागरण संवाददाता,जयपुर। गुलाबी नगरी के नाम से देशभर में प्रसिद्ध जयपुर शहर को हमेशा से ही गंगा-जमुनी संस्कृति का शहर माना जाता है। रियासतकाल से लेकर अब तक यहां हिंदू और मुस्लिम समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द हमेशा देखने को मिलता रहा है। कई ऐसे मुस्लिम परिवार है जो पीढ़ियों से जयपुर के अराध्यदेव गोविंद देवजी मंदिर को सजाने-संवारने का काम करते आ रहे है।
इसी तरह जयपुर के मोती डूंगरी गणेश मंदिर में पिछले दो दशक से पांच मुस्लिम कारीगर हर साल चांदी की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने और साफ-सफाई का काम करते आ रहे हैं। ये पांच मुस्लिम कारीगर गणेश चतुर्थी से करीब दो माह पहले से ही चांदी की वर्क की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने अथवा साफ-सफाई के काम में जुट जाते हैं। इस साल भी 13 सितम्बर को गणेश चतुर्थी है।
इस कारण मंदिर प्रशासन की ओर से चांदी की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने के लिए जुलाई माह से काम शुरू करवाया गया है। यह काम शहर के रामगंज बाजार में रहने वाले पांच मुस्लिम कारीगर कर रहे हैं। इन्ही कारीगरों ने एक दशक पूर्व सोने की परत चढ़ाई थी। इसके बाद हर साल ये साफ-सफाई करते आ रहे हैं, इस काम में भी एक से डेढ़ माह का समय लग जाता है।
दीवार पर चांदी का काम हिंदू और सोने का काम मुस्लिम कारीगर करते हैं
गणेश मंदिर में दीवारों पर चांदी के परत चढ़ाने का काम महेश नामक हिंदू कारीगर अपनी टीम के साथ करते हैं,वहीं सोने की परत चढ़ाने अथवा साफ-सफाई का काम पांच मुस्लिम कारीगर इरफान,शहजाद,समीर और मोहम्मद तोहा करते हैं। शहजाद और इरफान का कहना है कि जब गणेश जी के मंदिर में लोग "जय गणेश "अथवा "गजानन्द महाराज की जय 'बोलते हैं तो कई बार हमारे मुंह से भी जय गणेश और गजानन्द महाराज की जय निकल जाता है । दोनों का कहना है कि काम पर आते ही सबसे पहले मंदिर का घंटा बजाते है और फिर काम शुरू करते हैं। उन्होंने कहा कि मूर्ति गृह के अंदर तो हिंदू कारीगर ही काम करते हैं,लेकिन बाहरी हिस्से का पूरा काम हम करते हैं ।
गणेश मंदिर के महंत ने कहा,सालों से मुस्लिम परिवार कर रहे काम
गणेश मंदिर के महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि मंदिर प्रशासन की ओर से डेढ़ किलो सोना दिया गया है । ये लोग उसे चाइनीज प्लेटों के जरिए परत में ढालते हैं और फिर केमिकल की मदद से दीवारों पर लगाते हैं । उन्होंने बताया कि कई सालों से मुस्लिम परिवार मंदिर की साज-सज्जा से जुड़े विभिन्न कार्यों में लगे हैं । यहां कभी भेदभाव नहीं किया जाता,भगवान सबके लिए है।