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360 डिग्री पर देखने की काबिलियत रखते हैं ये देसी श्वान, 'वोकल फार लोकल' के तहत इन्हें दिया जा रहा प्रशिक्षण

देसी नस्ल के इन श्वानों में विदेशी श्वानों को मात देने की क्षमता है। देसी श्वान भारतीय मौसम के हिसाब से सभी वातावरण में ढले हुए हैं। इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता विदेशी श्वानों से ज्यादा है। इनका प्रबंधन सरल है और ये जंगली क्षेत्र में काम करने में दक्ष हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 04:56 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 05:01 PM (IST)
360 डिग्री पर देखने की काबिलियत रखते हैं ये देसी श्वान, 'वोकल फार लोकल' के तहत इन्हें दिया जा रहा प्रशिक्षण
देश में पहली बार देसी नस्ल के श्वान रामपुर हाउंड और मुधौल हाउंड को किया जा रहा प्रशिक्षित

वरुण शर्मा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के टेकनपुर स्थित देश की इकलौती सीमा सुरक्षा बल (BSF) की अकादमी में पहली बार देसी नस्ल के श्वानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फार लोकल' के आह्वान को आत्मसात कर अकादमी ने रामपुर हाउंड और मुधौल हाउंड के श्वानों का प्रशिक्षण शुरू कर दिया है। यह 360 डिग्री पर देखने में समर्थ हैं। यह काबिलियत विदेशी नस्ल के श्वानों जर्मन शेफर्ड और लेब्राडोर में नहीं होती है।

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देसी नस्ल के इन श्वानों में विदेशी श्वानों को मात देने की क्षमता है। देसी श्वान भारतीय मौसम के हिसाब से सभी वातावरण में ढले हुए हैं। इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता विदेशी श्वानों से ज्यादा है। इनका प्रबंधन सरल है और ये जंगली क्षेत्र में काम करने में दक्ष हैं। इनकी पतली बनावट के कारण ये बेहतर हमलावर होते हैं। इन्हें साइट हाउंड भी कहा जाता है।

बीएसएफ के श्वान प्रशिक्षण केंद्र में श्वानों को छह से नौ माह का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें कुछ नस्ल के श्वान छह महीने में प्रशिक्षित हो जाते हैं तो कुछ में ज्यादा समय भी लगता है। सभी मापदंडों का सख्ती से पालन करते हुए यहीं इनकी ब्रीडिंग भी कराई जाती है। गौरतलब है कि देसी श्वानों की नस्ल को नेशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक रिसोर्सेस ने पहचान देना शुरू कर दिया है। यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत कार्य करने वाली संस्था है। इनके माध्यम से जेनेटिक और डीएनए स्टडी की गई है। सीधे तौर पर कहा जाए तो केंद्र सरकार ने पहली बार देसी नस्ल के श्वानों को पहचान दी है।

देसी नस्ल बढ़ाएगी देश का नाम

उत्तर भारत के रामपुर हाउंड और दक्षिण भारत की देसी नस्ल मुधौल हाउंड के श्वानों में गजब की काबिलियत है। बीएसएफ का बेहतर प्रशिक्षण पाने के बाद इनका हुनर और निखरेगा। इससे देश का नाम बढ़ेगा और विदेशी नस्लों पर निर्भर रहने की जरुरत नहीं होगी। वहीं, दुनियाभर को देश की देसी नस्लों की काबिलियत पता चलेगी। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बीएसएफ का यह प्रयास सफल रहेगा। गौरतलब है कि ग्वालियर के टेकनपुर में देश की एकमात्र बीएसएफ की अकादमी है। यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर के श्वान प्रशिक्षण केंद्र से लेकर टियर स्मोक यूनिट, मोटरयान यूनिट सहित अलग-अलग विंग हैं। श्वान प्रशिक्षण केंद्र अंतरराष्ट्रीय स्तर का होने के कारण यहां दुनियाभर के अलग- अलग देशों के श्वान प्रशिक्षण के लिए लाए जाते हैं।


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