COVID-19: कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के बावजूद उम्मीद जगाते हैं ये आंकड़े
आइए आंकड़ों के जरिये जानते हैं कि कैसे संक्रमितों की संख्या में इजाफे के बावजूद महामारी से निपटने की हमारी कोशिशें रंग ला रही है और उम्मीद की किरण प्रकाश पुंज बनती जा रही है।
नई दिल्ली, जेएनएन। देश में कोरोना संक्रमण के मामले बहुत ही तेजी से बढ़ रहे हैं। इनका बढ़ना सरकार के साथ ही आम लोगों को भी चिंता में डाल रहा है। हालांकि कई पहलुओं पर गौर करें तो हम पाते हैं कि संक्रमण बढ़ने के बावजूद हम महामारी से लड़ने में धीरे-धीरे ही सही, सक्षम हो रहे हैं। स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
देश में 10 लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं। वहीं वैश्विक मृत्यु दर की तुलना में देश में मृत्यु दर करीब आधी है। आइए आंकड़ों के जरिये जानते हैं कि कैसे संक्रमितों की संख्या में इजाफे के बावजूद महामारी से निपटने की हमारी कोशिशें रंग ला रही है और उम्मीद की किरण प्रकाश पुंज बनती जा रही है।
तेजी से बढ़ाई गई टेस्टिंग लैबों की संख्या: देश में 1,321 टेस्टिंग लैब है, जिनमें रियल टाइम आरटी पीसीआर टेस्ट के लिए 676 (412 सरकारी और 264 निजी)लैब हैं। वहीं ट्रूनैट आधारित लैबों की संख्या 541 ( सरकारी 465 और निजी 76) है। जबकि सीबीएनएएटी आधारित लैबों की संख्या 104 (सरकारी 30 और निजी 74) है।
10 लाख से अधिक लोग ठीक हुए: देश में कोरोना से संक्रमित होकर ठीक होने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अब तक 10 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। पिछले एक सप्ताह के दौरान रोजाना करीब 30 हजार से अधिक लोग ठीक हो रहे हैं। देश के 16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्वस्थ हुए लोगों का औसत राष्ट्रीय औसत (64.44 फीसद) से बेहतर है। जून की शुरुआत में करीब एक लाख लोग ठीक हो चुके थे। वहीं दो महीने के दौरान यह आंकड़ा बढ़कर 10 लाख हो चुका है। इस तरह से देश में ठीक होने वाले लोगों की संख्या सक्रिय मामलों की तुलना में 1.9 फीसद अधिक है।
कम देश की मृत्यु दर: संक्रमितों की जल्द पहचान कर उन्हें आइसोलेट करने की रणनीति है। इससे गंभीर मामलों और उच्च जोखिम वाली आबादी की उचित देखभाल की जा सकती है। इसी से कोरोना के कारण वैश्विक मृत्यु दर 4 फीसद की तुलना में देश में 2.21 फीसद मृत्यु दर है।