Positive india : कोरोना से बचने का सुरक्षा चक्र हैं आईआईटी की ये डिवाइस
कोरोना की दवा और वैक्सीन की खोज में पूरी दुनिया के दर्जनों शोध संस्थान लगे हुए हैं। डॉक्टर शोधकर्ता और वैज्ञानिक ऐसी डिवाइस बनाने में भी लगे हुए हैं जो सुरक्षाचक्र का काम करे।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। कोरोना की दवा और वैक्सीन की खोज में पूरी दुनिया के दर्जनों शोध संस्थान लगे हुए हैं। डॉक्टर, शोधकर्ता और वैज्ञानिक लगातार ऐसी डिवाइस बनाने में भी लगे हुए हैं, जो लोगों के लिए सुरक्षाचक्र का काम करे। इसी क्रम में हम आईआईटी के वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई ऐसी कुछ डिवाइस के बारे में बता रहे हैं, जो कोरोना के सुरक्षाचक्र के तौर पर प्रभावकारी हैं।
आईआईटी बीएचयू
आईआईटी बीएचयू में एक ऐसा टॉय कार रोबोट बनाया गया है, जिसकी मदद से हॉस्पिटल, क्वारंटीन सेंटर, हॉस्टल आदि का सेनिटाइजेशन कराया जा सकेगा। इससे सतह को भी संक्रमणमुक्त किया जा सकेगा। इसको बनाने में ऐसे पार्ट्स का प्रयोग किया गया है, जिनका कहीं भी प्रयोग किया जा सकता है। आईआईटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की टीम में शामिल डॉ. श्याम कमल ने बताया कि यूवीसी लाइट कोरोना को मारने में सक्षम है। ऐसा कई शोध में सामने आया है। उन्होंने बताया कि रोबोट को कमरे के बाहर से ही ऑपरेट किया जा सकता है। प्रमुख बात यह है कि इसका प्रयोग लॉकडाउन के बाद भी किया जा सकेगा। इसमें हमने बकट भी लगाया है, जिससे अन्य फंक्शन को बंद कर लोगों तक दवा या कुछ सामान पहुंचाने के लिए भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। इसमें दो मॉड हैं- पहले मॉड को लोगों की उपस्थिति में भी प्रय़ोग किया जा सकेगा और दूसरे मॉड को तभी प्रयोग किया जा सकेगा, जब लोग न हों।
रोबोट के ऊपर टॉवर में यूवीसी लाइट हाई पावर की लगी है। इसमें कैमरा लगाया गया है। कैमरे से ये देख सकते हैं कि रोबोट को कहां मूव कराना है। इस डिवाइस को जितना दीवार के पास से प्रयोग करेंगे, उतना ही यह बेहतर होगा। इसका इस्तेमाल तब ही करना बेहतर है, जब कमरे में कोई नहीं होगा। करीब आधे घंटे में यह पूरे कमरे को डिसइंफेक्ट कर देगा। यह पूरे कमरे को संक्रमणमुक्त करने में सक्षम है। इस रोबोट में एक यूवी-सी लाइट टॉय कार के नीचे लगी है, जो सतह को सेनिटाइज करती है। अस्पताल, बस, ट्रेन आदि किसी भी समतल स्थान को सेनिटाइज कर डिसइंफेक्ट करने में सक्षम है। श्याम ने बताया कि हॉस्टल खुलने से पहले भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। इसके निर्माण में डॉ संदीप घोष, डॉ एस के सिंह, डॉ एन के एस नायडू ने भी सहयोग दिया है।
पॉजिटिव प्रेशर रेस्पिरेटर सिस्टम
आईआईटी कानपुर और संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने एक पॉजिटिव प्रेशर रेस्पिरेटर सिस्टम (पीपीआरएस) का एक प्रोटोटाइप विकसित किया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह एन-95 मास्क से बेहतर है। प्रोफेसर नचिकेता तिवारी के अनुसार, ये फेफड़ों में सांस के जरिए वायरस पहुंचने की संभावना को काफी कम कर देता है। इसे बनाने वाली टीम में प्रोफेसर नचिकेता तिवारी और एसजीपीजीआई के प्रोफेसर देवेंद्र गुप्ता हैं।
प्रोफेसर नचिकेता तिवारी का कहना है कि मौजूदा एन-95 उपयोगकर्ता की रक्षा नहीं करता है। इससे मास्क के अंदर नकारात्मक दबाव बना रहता है। इसके विपरीत, पीपीआरएस अनियंत्रित हवा प्रदान करता है, क्योंकि यह सकारात्मक दबाव का उपयोग करता है। इस प्रकार, कमरे से दूषित हवा रिसाव की उपस्थिति में भी पीपीआरएस में प्रवेश नहीं कर सकती है। यह डिवाइस छह घंटे से अधिक समय तक स्वच्छ हवा दे सकती हैं। इसके निर्माण के लिए आसानी से उपलब्ध स्थानीय सामग्रियों का उपयोग किया जाता है।
हर्बल सेनिटाइजिंग टनल
आईआईटी कानपुर और एलिम्को ने एक हर्बल सेनेटाइजिंग टनल बनाया है। यह टनल दिव्यांगों को उनके व्हीलचेयर के साथ सेनेटाइज करने में मददगार होगा। माना जा रहा है कि इससे गुजरने के बाद वायरस से इंसान पूरी तरह सुरक्षित रहेगा। हर्बल टनल को आईआईटी के टेक्नोपार्क के इंचार्ज प्रो़ अविनाश अग्रवाल और एलिम्को के जीएम मार्केटिंग पी.के. दुबे के निर्देशन में तैयार किया गया है। सैनिटाइजिंग टनल पूरी तरह से पारदर्शी बनाया गया है। इसमें जगह-जगह सेंसर लगे हैं। हरी और लाल रंग की लाइटें भी लगाई गई हैं। उन्होंने बताया कि इसमें आयोनाइज्ड स्प्रे, गर्म हवा, यूवी रेडियशन थैरेपी भी दे रहे हैं। जैसे ही लॉकडाउन खत्म होगा, उस दौरान बस, रेलवे स्टेशन, मॉल समेत भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने वाले लोगों के कपड़ों और हाथ-पैरों में अगर संक्रमण हो जाए, तो यह उसे नष्ट करने में सहायक होगा। मगर, किसी के शरीर में अगर वह प्रवेश कर जाए तो यह उसे नष्ट नहीं कर पाएगा।