गंगा घाट पर बिखरे फूलों से बना रहे थर्मोकोल
पेट्रोकेमिकल से बनने वाले थर्मोकोल के जलने से निकलतीं हानिकारक गैसे...
कानपुर (विक्सन सिक्रोड़िया)। गंगा समेत कई नदियों में प्रदूषण का कारण बने फूलों से इको फ्रेंडली थर्मोकोल तथा कई वस्तुएं बनाई जा रही हैं। एमबीए पासआउट प्रतीक कुमार ने डेढ़ साल शोध के बाद रिसाइकल किए जाने वाला थर्मोकोल विकसित किया है। 90 फीसद फूलों से तैयार थर्मोकोल पेट्रोकेमिकल वाले थर्मोकोल से 27 फीसद सस्ता भी है। आइआइटी कानपुर ने परीक्षण के बाद इस पर मुहर लगाई है। प्रतीक को उनके इस काम के लिए टाटा समूह ने आर्थिक मदद भी प्रदान की है।
थर्मोकोल पॉलीथीन का उत्पाद है, जो पर्यावरण के लिए घातक है। तेल, ग्रीस, सल्फाइट, लेड, मरकरी, आयरन और एल्युमिनियम को मिला कर बनाए जाने वाला थर्मोकोल भूमि की उर्वरा क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसके रासयनिक तत्व पानी में घुलनशील तत्व नहीं होते। नदी- नालों को प्रदूषित करने के साथ यह नालियों में अवरोध पैदा करते हैं। इसे जलाने से सल्फर डाई ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड व हाईड्रोजन साईनाइड गैस निकलती है। यह कैंसर का कारक भी है। कई देशों में प्रतिबंधित है थर्मोकोल अमेरिका के न्यूयॉर्क, कैलीफोर्निया के अलावा फ्रांस, कनाडा के टोरेंटो, साउथ अमेरिका के गुयाना, डोमेनिकन रिपब्लिक (कॅरीबीयन) व ताइवान में थर्मोकोल पर प्रतिबंध है। भारत में कर्नाटक में प्रतिबंध पर विचार किया जा रहा है।
फूलों से बनाई अगरबत्ती व खाद : पुणे रीजनल कॉलेज से बीटेक और सिंबोयसिस इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट से इनोवेशन में मास्टर डिग्री प्राप्त करने वाले अंकित अग्रवाल ने भी फूलों से अगरबत्ती और खाद तैयार की है। वोरिक बिजनेस स्कूल इंग्लैंड से एमबीए करने वाले करन रस्तोगी के साथ मिलकर उन्होंने अगरबत्ती के ऐसे 11 उत्पाद बनाए हैं जो चारकोल (लकड़ी का कोयला अथवा काठ कोयला) रहित हैं। अभी अगरबत्ती में चारकोल शामिल रहता है, जिसके जलने पर प्रदूषण फैलता है। यह श्वास नली के जरिये हमारे शरीर में प्रवेश करके उसे नुकसान पहुंचाता है।
गंगा किनारे बैठने पर आया आइडिया
चेक रिपब्लिक से आए दोस्त जाकुब ब्लाहा के साथ एक दिन गंगा किनारे बैठे अंकित अग्रवाल को फूलों से उत्पाद बनाने का आइडिया आया। किनारे पड़े फूल सड़ रहे थे। कोई उन्हें उठाने वाला नहीं था। यहीं से फूलों को इकट्ठा करके उससे अगरबत्ती बनाने की शुरुआत हुई। फूलों से उत्पाद बनाकर पर्यावरण संरक्षण करने की इस टीम में अमेरिका की मिलिया, चेक रिपब्लिक के जाकुब ब्लाहा व मारी हार्निके भी शामिल हैं। इनकी कंपनी का नाम हेल्पस ग्रीन है।
पैकिंग को बोने से निकलेगा तुलसी का पौधा
अंकित व उनकी टीम ने अगरबत्ती की पैकिंग तुलसी के बीज डालकर बनाए गए कागज से की है। पैकेट खत्म होने के बाद इस पैकिंग को गमले में बोने से तुलसी का पौधा निकल आएगा, जबकि अभी तक जिस पैकेट में अगरबत्ती आती है उसे यूं ही फेंक दिया जाता है।
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