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देश में आर्थिक सुधारों पर अब विराम नहीं, अर्थव्यवस्था और समग्र विकास को लेकर बढ़ाना होगा दायरा

गिनाने को बहुत है बताने को बहुत है। अर्थव्यवस्था और समग्र विकास की तस्वीर संवरी है लेकिन गुलाबी बनाने के लिए आर्थिक सुधारों को सामाजिक नीतियों से जोड़ना होगा। हमारी जरूरत बड़ी है इसलिए रफ्तार रुकनी नहीं चाहिए।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 10:51 AM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 03:46 PM (IST)
देश में आर्थिक सुधारों पर अब विराम नहीं, अर्थव्यवस्था और समग्र विकास को लेकर बढ़ाना होगा दायरा
हमारी नीतियों में देश में गरीबी उन्मूलन पर लगातार फोकस।(फोटो: प्रतीकात्मक)

डा. विकास सिंह। पिछले सात दशक में हम खरीद क्षमता के आधार पर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर सामने आए हैं। दुनिया की आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने में भारत की करीब 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है। हमारी नीतियों में गरीबी उन्मूलन पर लगातार फोकस रहा है। पिछले दो दशक में इस दिशा में प्रयास तेज हुए हैं और 30 करोड़ से ज्यादा लोगों को गरीबी के जाल से बाहर निकाला गया है।

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  1990 और उसके बाद के वर्षो में उठाए गए सुधार के कदम परिवर्तनकारी रहे हैं। इनसे बड़े वंचित वर्ग को ऊपर उठने में मदद मिली। इनसे मध्यम आय वर्ग को भी आगे बढ़ने में सहायता मिली। इसके बाद, पिछले दशक के सुधारों ने विकास को गति दी और सतत प्रगति का रास्ता खोला। मध्यम आय वर्ग जो मूलत: उपभोक्ता वर्ग भी है, वह ऐसा जीवन जी रहा है, जिसकी 20 साल पहले कल्पना नहीं की जा सकती थी। 10 प्रतिशत धनी लोग पश्चिमी देशों के नागरिकों जैसा जीवन जी रहे हैं। सामाजिक समरसता से लेकर स्वास्थ्य तक कई अन्य मोर्चे पर भी सकारात्मक असर दिखा है।

 भारत ने बुनियादी ढांचा निर्माण, बांध व हाईवे बनाने और यातायात का मजबूत नेटवर्क बनाने की दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। इससे गांवों एवं शहरों के बीच की खाई को पाटने में मदद मिली है। सड़कें 20 गुना बढ़ी हैं और रेल नेटवर्क पांच गुना बढ़ा है। आज हर चौथे भारतीय के पास वाहन है और हर 20वां भारतीय हवाई यात्र करता है। हर गांव में बिजली पहुंच गई है और हर रसोई में स्वच्छ ईंधन।

  हरित क्रांति ने कृषि क्षेत्र की तस्वीर बदलकर रख दी थी। इससे खाद्यान्न के मामले में हम आत्मनिर्भर हुए थे। कृषि विज्ञानियों के सहयोग से और टेक्नोलाजी व ज्यादा उन्नत बीजों के दम पर भारत सबसे बड़ा खाद्यान्न उत्पादक बन गया। फल व सब्जियों के उत्पादन में हम आगे बढ़ रहे हैं और दुग्ध उत्पादन में भी अग्रणी हैं। अब हमारे किसानों को आय के मामले में क्रांति की जरूरत है। सरकार को इस दिशा में प्रयास की जरूरत है और कई कदम उठाए भी गए हैं।

  सूचना प्रौद्योगिकी, टेलीकम्युनिकेशन ने अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव किया है। इनसे ई-कामर्स और कई नए स्टार्टअप का रास्ता खुला है। कई लोगों को आगे बढ़ने का मौका मिला है। टेलीकाम और आइटी के दम पर हमारा सेवा क्षेत्र कई गुना बढ़ा है। आजादी के बाद से इसमें 100 गुना बढ़ोतरी हुई है। हमें वैल्यू चेन को बढ़ाना होगा और विकास को गति देने वाले कदमों पर फोकस करना होगा। भारत में ग्लोबल हब बनने की क्षमता है। हमें डिजिटल और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की अगली कड़ी को ध्यान में रखकर कदम बढ़ाना होगा। इस सेक्टर में 20 अरब डालर निर्यात की क्षमता है।

 आर्थिक सुधार और बेहतर बिजनेस माडल जीडीपी को तीन गुना कर सकते हैं। इनमें हर व्यक्ति के लिए रोजगार के अवसर खोलने की क्षमता है। आर्थिक विकास की गति अपने साथ कई नए रास्ते खोलती है। सामाजिक बुनियादी ढांचे विशेषकर स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास और स्वच्छ भारत जैसे कदमों पर प्रधानमंत्री का जोर अर्थव्यवस्था को कई तरह से लाभ पहुंचा सकता है। केंद्र और राज्यों को सधे हुए लक्ष्य के साथ और बेहतर तरीके से तैयार जनकल्याण की योजनाओं पर आगे बढ़ना होगा, जिनसे समाज के वंचित तबके को ऊपर उठने का मौका मिले।

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नेतृत्व निर्णायक है। उनमें मजबूत सुधारों की ओर कदम बढ़ाने का साहस है। उन्हें आर्थिक सुधारों को सामाजिक नीतियों से जोड़ना होगा और वंचित लोगों को अवसरों का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।

(लेखक- मैनेजमेंट गुरु, वित्तीय एवं समग्र विकास विशेषज्ञ)


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