प्राइम टीम, नई दिल्ली। फरवरी में ‘यूपीआई’ और सिंगापुर की ‘पे नाऊ’ प्रणाली के समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) को भारत की सबसे पसंदीदा भुगतान प्रणाली बताया और कहा कि यह जल्द ही नकद लेनदेन को पीछे छोड़ देगी।

जनवरी 2016 में जब यूपीआई को लांच किया गया था तब इसकी व्यापक स्तर पर आलोचना हुई थी। तर्क दिए जा रहे थे कि यह आम आदमी के लिए सुलभ न होगा। इसका इस्तेमाल सिर्फ एक तबका कर पाएगा लेकिन इसने सारे आरोपों को बेबुनियाद साबित किया और मौजूदा समय में ट्रांजेक्शन का सबसे पॉपुलर माध्यम बन गया है।

इसकी सफलता की कहानी को कुछ आंकड़ों से समझा जा सकता है। नेशलन पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2016 में यूपीआई को 0.09 मिलियन लोग इस्तेमाल करते थे। फरवरी 2023 में यह आंकड़ा 7,534.76 मिलियन का हो गया है। इस लिहाज से देखें तो इसमें 83,711 गुना का ईजाफा हो गया है। 2016 में जहां 21 बैंक सिर्फ यूपीआई का इस्तेमाल करते थे तो फरवरी 2023 में 390 बैंक यूपीआई माध्यम को अपना चुके हैं।

बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं कि यूपीआई अब अरबों लेनदेन में खरबों रुपये ले जा रहा है। यह सार्वभौमिक है। इससे पहले, इसका उपयोग केवल तकनीक-प्रेमी लोगों द्वारा किया जाता था। अब जहां कहीं भी भुगतान करने की आवश्यकता है, वहां यूपीआई क्यूआर कोड की मौजूदगी सुनिश्चित है। UPI अब छोटे लेन-देन के लिए भुगतान का विकल्प बन गया है, और एटीएम से निकासी कम हो गई है। बीच के वर्षों में, कभी-कभार भुगतान विफल होने पर निराशा होती थी। लेकिन भुगतान में अब पर्याप्त तकनीकी नवाचार हैं और विफलताएं अब दुर्लभ हैं। इसलिए अब यूपीआई पर भरोसा काफी बढ़ गया है। यह अंतरराष्ट्रीय भुगतान में एक बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार है, जो दुनिया को भारतीय फिनटेक की ताकत दिखाएगा।

नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया का आंकड़ा बताता है कि भारत में 2022 में हर सेकेंड 2348 ट्रांजेक्शन हुए।

यूपीआई ने दिए ये फायदे

UPI से आप किसी भी व्यक्ति, दुकानदार, आदि को 365 दिन और 24×7 भुगतान कर सकते हैं, वह भी मुफ्त में। स्पेशल क्यूआर कोड के द्वारा भी UPI भुगतान किया जा सकता है। यह सिस्टम बार-बार ATM जाकर मशीन से पैसा निकालने की समस्या को पूरी तरह खत्म कर देता है।

UPI ने बिजली, पानी, गैस, टोल आदि के बिल भुगतान सहित मोबाइल रिचार्ज को बेहद सरल कर दिया है। UPI के द्वारा कोई भी समस्या होने पर सीधा मोबाइल ऐप पर अपनी शिकायत दर्ज की जा सकती है अथवा फिर RBI की वेबसाइट का भी विकल्प उपलब्ध है।

यूपीआई से विदेश में बिजनेस करना आसान

भारत का विश्वस्तरीय यूपीआई डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर ग्लोबल हो गया है और इससे भारतीय यूजर्स के लिए विदेशों में बिजनेस करना आसान हो जाएगा। सिंगापुर से यूपीआई के जरिए लेनदेन शुरू हो चुका है। भारत सरकार ने यूपीआई को विदेशी मुद्रा (डॉलर, यूरो, पाउंड आदि) समेत अन्य मुद्राओं के लिए भी उपलब्ध कराने की योजना बनाई है।

यूपीआई के लागू होने से पहले, भारत में अनेक पेमेंट गेटवे थे जो अलग-अलग बैंकों द्वारा प्रबंधित किए जाते थे। यह सिस्टम असंगठित और असुरक्षित था क्योंकि विभिन्न पेमेंट गेटवे के लिए अलग-अलग सुरक्षा प्रोटोकॉल थे। इसलिए, बैंकों के बीच पैसे का लेनदेन अधिक संगठित नहीं था और यह अधिक समय लेता था।

मुंबई स्थित वित्तीय सेवा कंपनी आशियाना फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ अनिरुद्ध गुप्ता कहते हैं, भविष्य उसी तरह जा रहा है जैसे रेमिटेंस प्लेयर्स ने अतीत में किया है, यानी देशों के बीच अधिक एकीकरण। जिसका मतलब है कि मैं सिंगापुर में किसी को मिनटों में भुगतान कर सकता हूं और मिनटों में भुगतान हासिल भी कर सकता हूं। भारत पहले से ही उस रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। एक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा का दर्जा हासिल करना एक कठिन रास्ता है, लेकिन वर्तमान स्थिति दिखाती है कि हम सही दिशा में हैं। दस साल में यह संभव हो सकता है।

यूपीआई पर कोई शुल्क नहीं

बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं कि अक्सर ऐसी अटकलें लगाई जाती हैं कि यूपीआई भुगतान हमेशा मुफ्त नहीं रहेगा और किसी बिंदु पर एमडीआर शुल्क लागू होगा। इसके लिए, सरकार द्वारा पिछले साल स्पष्टता प्रदान की गई थी कि UPI भुगतानों पर शुल्क लगाने की कोई योजना नहीं है।

तेजी से बढ़ रहा डिजिटल ट्रांजेक्शन: नैस्कॉम

नैस्कॉम की रिपोर्ट कहती है कि भारत में बीते बीस सालों में डिजिटल ट्रांजेक्शन की तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है। वर्ष 2000 में डिजिटल इकोनॉमी का योगदान सिर्फ तीन प्रतिशत का था तो 2025 में यह 58 प्रतिशत तक होने की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक स्मॉर्टफोन का बाजार भारत में 2005 में 2 प्रतिशत था तो 2015 में यह 26 प्रतिशत हो गया। 2022 में इसके 36 फीसदी तक होने की उम्मीद है। यूपीआई में साल दर साल 143 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है। आने वाले समय में यूपीआई की बढ़ोतरी की दर तेज रहने की संभावना है। सेमी अर्बन और ग्रामीण क्षेत्रों में भी सक्रिय उपभोक्ता बढ़े हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में एक्टिव यूजर 227 मिलियन थे तो अर्बन यूजर 205 मिलियन हो गए हैं। यही नहीं इसकी वजह से 2025 तक डिजिटल पेमेंट का बाजार 1 ट्रिलियन का होने की उम्मीद है।

आईएमएफ के शोध पत्र में दिया हवाला

इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड (आईएमएफ) के एक शोध पेपर में दुनिया भर के 52 उभरते बाजारों और अर्थव्यवस्था का इंडेक्स ऑफ फाइनेंशियल इनक्लूजन जारी किया गया है। इसमें सामने आया है कि अफ्रीका और एशिया डिजिटल फाइनेंशियल इनक्लूजन में तेजी से बढ़े हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि केन्या और भारत की डिजिटल पेमेंट की ग्रोथ तेजी से बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार चीन ने डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल 2003 में सार्स के दौरान शुरू किया था। अमेरिका और चीन उभरते बाजारों जैसे भारत, केन्या, मैक्सिको, नाइजीरिया और तंजानिया में अपना बाजार बढ़ा रहे हैं। पूर्वी अफ्रीका, चीन और भारत शीर्ष बढ़त वाले बाजारों में से एक है।

ग्रोथ के लिए फायदेमंद

फाइनेंशियल इनक्लूजन अर्थव्यवस्था और समाज दोनों के लिए बेहतर होता है। पहले के अध्ययन में सामने आया है कि यह आर्थिक असमानता को कम करने का काम भी करता है। विश्लेषण में यह भी सामने आया कि डिजिटल फाइनेंशियल इनक्लूजन की बेहतरी को जीडीपी ग्रोथ से जोड़ा जा सकता है।

इंटरनेट की उपलब्धता ने भी आसान किया सफर

इंटरनेट की उपलब्धता ने भी यूपीआई के सफर को आसान किया है। साल दर साल इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों के आंकड़े बढ़ते गए और यूपीआई इस्तेमाल करने वालों का आंकड़ा भी। 30 सितंबर, 2021 तक ग्रामीण क्षेत्रों में 302.35 मिलियन और शहरी क्षेत्रों में 474.11 मिलियन इंटरनेट उपभोक्ता थे। प्रति 100 की आबादी में 33.99 ग्रामीण इंटरनेट उपभोक्ता थे और प्रति 100 की आबादी में 101.74 शहरी इंटरनेट उपभोक्ता थे।

भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक सबसे अधिक इंटरनेट उपभोक्ता महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में हैं। महाराष्ट्र में 66.72 मिलियन इंटरनेट उपभोक्ता हैं। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 26.86 मिलियन और शहरी क्षेत्रों में 39.86 मिलियन इंटरनेट उपभोक्ता हैं। वहीं आंध्र प्रदेश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 61.12 मिलियन है। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 26.69 मिलियन इंटरनेट उपभोक्ता हैं तो शहरी क्षेत्रों में 34.43 मिलियन उपभोक्ता हैं। उत्तर प्रदेश पूर्व में जहां 56.88 मिलियन उपभोक्ता हैं तो उत्तर प्रदेश पश्चिम में 39.04 मिलियन इंटरनेट उपभोक्ता है। दिल्ली, पश्चिम बंगाल, गुजरात में क्रमश: 41.84 मिलियन, 34.84 मिलियन और 47.41 मिलियन उपभोक्ता हैं।