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राज्यसभा के औचित्य पर विचार करने का समय

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश केटी थॉमस का मानना है कि अगर राज्यसभा का इस्तेमाल इसी तरह विकास रोकने और कानून बनाने में अवरोध डालने के लिए किया जाता रहा, तो इसके औचित्य पर विचार किया जाना चाहिए।

By Manoj YadavEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2015 09:44 PM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2015 09:46 PM (IST)
राज्यसभा के औचित्य पर विचार करने का समय

त्रिशूर। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश केटी थॉमस का मानना है कि अगर राज्यसभा का इस्तेमाल इसी तरह विकास रोकने और कानून बनाने में अवरोध डालने के लिए किया जाता रहा, तो इसके औचित्य पर विचार किया जाना चाहिए।

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कोच्चि में शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम में जस्टिस थॉमस ने कहा कि राज्यसभा के सभापति को शोरगुल करने वाले सांसदों के खिलाफ अनुशासन की कार्रवाई का भी अधिकार नहीं है। उन्होंने पूछा कि ऐसी संस्था को बनाए रखने का क्या मतलब है, जिसके पीठासीन अधिकारी को खेल मैदान के अंपायर जितना भी अधिकार नहीं है?

थॉमस ने याद दिलाया कि भारत ने दो सदनों की व्यवस्था इंग्लैंड से ली थी। उन्होंने कहा कि यदि सदन समुचित कानूनी प्रावधानों से प्रभावी तरीके से काम करता है, तभी इसे बरकरार रखा जाना चाहिए। अन्यथा अन्य तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए।

मसलन यदि कोई सदस्य लगातार इसकी कार्यवाही में बाधा डालता है, तो उसे पूरे सत्र के लिए सदन से निलंबित कर दिया जाना चाहिए। इसके बाद भी यदि वह सदन में बाधा डालना जारी रखता है, तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाना चाहिए। ऐसे लोगों को सुप्रीम कोर्ट में भी अपनी अयोग्यता को चुनौती देने का अधिकार नहीं होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली भी इसी तरह के विचार व्यक्त कर चुके हैं।

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