छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का प्राथमिकी दर्ज करने संबंधी आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने किया निरस्त
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अपने आदेश में कहा इस तरीके से किसी जनहित याचिका को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। पीठ के सदस्यों में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार भी शामिल हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसके जरिये सीबीआइ को राज्य संसाधन केंद्र (एसआरसी) और फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर (पीआरआरसी) में कथित अनियमितता के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया था। इन दोनों केंद्रों पर करीब 10 साल की अवधि में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की अनियमिता का आरोप है।
हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले साल जनवरी में आदेश पारित किया था। याचिका में राज्य सरकार के एसआरसी और पीआरआरसी में कोष की कथित अनियमितता के सिलसिले में सीबीआइ को कुछ वरिष्ठ नौकरशाहों सहित अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
शीर्ष अदालत ने इस बात का जिक्र किया कि हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों सहित 31 प्रतिवादियों का पक्षकार के तौर पर जिक्र किया था। लेकिन इस बारे में संकेत देने के लिए कुछ भी रिकार्ड में नहीं है कि आदेश जारी करने से पहले उन सभी को नोटिस दिया गया था।
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'इस तरीके से किसी जनहित याचिका को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।' पीठ के सदस्यों में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार भी शामिल हैं। पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है।
पीठ को बताया गया कि उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर सीबीआई ने पिछले साल फरवरी में इस विषय में एक प्राथमिकी दर्ज की थी।
यह भी पढ़ें: देश के कई राज्यों पर पड़ सकता है कोयले की कमी का असर, रायबरेली में एनटीपीसी की दूसरी इकाई बंद, गहराई समस्या