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हादसे के वक्त दिमागी स्थिति जानने के लिए छात्र ने बनाया साइकोमेट्रिक टूल, जानिए किस तरह किया गया शोध

शैलेंद्र ने अपने सहपाठी हार्दिक सिंह आहूजा के साथ यह शोध किया है। इसके लिए उन्होंने 30 प्रश्नों का प्रपत्र बनाया है जिसमें चालकों की उस वक्त की मनोदशा का पता लगाया गया जब वे ड्राइव कर रहे होते हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 07:22 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 07:22 PM (IST)
हादसे के वक्त दिमागी स्थिति जानने के लिए छात्र ने बनाया साइकोमेट्रिक टूल, जानिए किस तरह किया गया शोध
सितंबर 2019 से शुरू हुए शोध में अब तक 524 लोगों पर टेस्ट किया जा चुका है

विकास पांडेय, बिलासपुर। दिल्ली विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर (पीजी) कर रहे छत्तीसगढ़ के कोरबा निवासी छात्र शैलेंद्र जायसवाल ने एक साइकोमेट्रिक टूल तैयार किया है। इसकी मदद से वाहन चालकों की दिमागी स्थिति का आकलन कर दुर्घटनाएं रोकने में मदद मिल सकती है। उसने देश के चार महानगरों समेत 26 राज्यों में कार, बाइक व कैब चालकों पर एक साल तक शोध कर जाना कि अचानक कोई हादसा हो जाए, तो उनका पहला कदम क्या होगा? ज्यादातर का जवाब था कि वे सामने वाले की गाड़ी तोड़ देंगे या हिंसा का रास्ता अपनाएंगे।

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शोध से निष्कर्ष निकला कि लाइसेंस जारी करने से पहले चालकों का साइकोलाजिकल टेस्ट अनिवार्य होना चाहिए। शैलेंद्र ने अपने सहपाठी हार्दिक सिंह आहूजा के साथ यह शोध किया है। इसके लिए उन्होंने 30 प्रश्नों का प्रपत्र बनाया है, जिसमें चालकों की उस वक्त की मनोदशा का पता लगाया गया, जब वे ड्राइव कर रहे होते हैं। घर से निकलकर कालेज, दफ्तर, बाजार या कहीं भी जाते वक्त उनके दिमाग में क्या चल रहा होता है, यह जानने का प्रयास किया गया।

अभी 1500 लोगों की सैंपलिंग है बाकी

अचानक उनके साथ या कोई दूसरा दुर्घटना का शिकार होते दिखे तो वे क्या करेंगे। उनके जवाब के आधार पर शोध से निष्कर्ष निकला कि लाइसेंस जारी करने से पहले चालकों का साइकोलाजिकल टेस्ट किया जाए। इससे इस बात का पता लगाया जा सकता है कि जिसे लाइसेंस दे रहे हैं, वह वाहन चलाने के लिए दिमागी रूप से सही है भी या नहीं। इस तरह दुर्घटनाएं होने से पहले ही उसे रोकने की कवायद सुनिश्चित हो सकेगी। लोगों का मानसिक रूप से स्वस्थ न होना भी ज्यादातर हादसे के कारण बन रहे हैं। सितंबर 2019 से शुरू हुए शोध में अब तक वे 524 लोगों पर टेस्ट कर चुके हैं। अभी 1500 लोगों की सैंपलिंग बाकी है। 

ये है साइकोमेट्रिक टूल

जिन 30 सवालों का प्रपत्र इस शोध छात्र ने तैयार किया है, उसकी भाषा में वही उनका साइकोमेट्रिक टूल है। इसके माध्यम से वह किसी चालक की मनोदशा के बारे में, वाहन परिचालन के समय की अलग-अलग संभावित विचारों के बारे में और किसी घटना के समय की उनकी प्रतिक्रिया के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।

राष्ट्रीय स्पर्धा में प्रोजेक्ट को प्रथम स्थान

पिछले दिनों एआइयू (भारतीय विश्वविद्यालयों का संघ) की ओर से शोध एवं अनुसंधान पर आधारित एक आनलाइन स्पर्धा राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल (RGPV) में रखी गई थी। देशभर के 150 प्रतिभागियों में शैलेंद्र ने अपना प्रोजेक्ट भी प्रस्तुत किया। आरजीपीवी के आनलाइन अन्वेषण कार्यक्रम के बेसिक व सोशल साइंस कैटेगरी में उनके टूल को राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान दिया गया और 75 हजार की पुरस्कार राशि भी प्रदान की गई।

एआइयू ने कहा- केंद्र तक पहुंचाएंगे नवाचार

शैलेंद्र की यह उपलब्धि एआइयू (भारतीय विश्वविद्यालयों का संघ), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और कार्यक्रम में शामिल हुए केंद्रीय मंत्रालय के अधिकारियों की नजर में भी आई। पुरस्कार प्रदान करने के साथ एआइयू ने इस नवाचार को व्यावहारिक रूप से लागू करने की दिशा में आगे बढ़ाने की पहल का आश्वासन दिया। उन्होंने केंद्रीय परिवहन मंत्रालय तक पहुंचाने व छात्रों को अपना शोध उनके समक्ष प्रदर्शन का अवसर देने की पेशकश भी की है। दिल्ली की इस घटना से मिली प्रेरणा शैलेंद्र ने बताया कि दिल्ली में घर लौटते वक्त उन्होंने एक बाइक सवार को देखा जो अपनी ही बाइक के नीचे दबा था और निकलने का प्रयास कर रहा था। उसे किसी वाहन ने ठोकर मारा था। तभी एक आदमी उसकी मदद के लिए आया और उसे उठाने लगा। घटना से व्यथित व्यक्ति ने झल्लाकर मदद करने वाले को भी धक्का दे दिया। यहीं से प्रेरित होकर शैलेंद्र ने यह टूल तैयार कर शोध शुरू किया। बता दें कि शैलेंद्र कोरबा जिले के तहसील कार्यालय पोड़ी उपरोड़ा में सहायक ग्रेड-2 संतोष जायसवाल के पुत्र हैं।


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