Move to Jagran APP

इसलिए खास है छत्तीसगढ़ का गंगरेल डेम और उस पर बना आर्टिफिशियल बीच

गंगरेल डेम प्रोजेक्ट अपने निर्मांण के समय से ही अपने आप में एक अनूठा प्रोजेक्ट रहा है, जिसे साल 1978 में बनाया गया था।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 09:31 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 09:38 PM (IST)
इसलिए खास है छत्तीसगढ़ का गंगरेल डेम और उस पर बना आर्टिफिशियल बीच
इसलिए खास है छत्तीसगढ़ का गंगरेल डेम और उस पर बना आर्टिफिशियल बीच

रोशल लाल सिन्हा, धमतरी। छत्तीसगढ़ राज्य के पर्यटन नक्शे पर धमतरी जिले का गंगरेल डेम यानी रविशंकर सागर बांध अपनी एक अलग पहचान रखता है। महानदी पर बने इस बेहद खूबसूरत बांध में अधाह जल राशि किसी समंदरी द्वीप के जैसा अहसास कराती है। अब इसपर लेक व्यू प्रोजेक्टर पूरा होने के बाद यह देश का सबसे खूबसूरत आर्टिफिशियल बीच बन गया है।

loksabha election banner

इसकी तारीफ केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री केजे अल्फॉन्स ने भी दिल खोलकर इसकी तारीफ की। गंगरेल डेम प्रोजेक्ट अपने निर्मांण के समय से ही अपने आप में एक अनूठा प्रोजेक्ट रहा है, जिसे साल 1978 में बनाया गया था। आईए जानें गंगरेल डेम और उसके आर्टिफिशियल बीच की खास बातें।

      

इंदिरा गांधी ने किया था लोकार्पण

यह छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्थित है। इसे रविशंकर सागर बांध के नाम से भी जाना जाता है। राजधानी रायपुर से यह 90 किमी की दूरी पर स्थित है। गंगरेल बांध का निर्माण सन 1978 में हुआ। इसका लोकार्पण तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथों किया गया था। 

         

छत्तीसगढ़ को बनाता है धान का कटोरा

महानदी नदी के पार बनाया गया यह छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा बांध है जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है। इसकी सुन्दरता के कारण ही दूर-दूर से लोग यहां घूमने आते हैं। यह बांध वर्षभर सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराता है, जिससे इसके आस-पास के क्षेत्रों में धान की पैदावार बहुतायात में होती है और इसी वजह से छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहलाता है।

       

यहां के मैदानी क्षेत्र के किसान प्रति वर्ष दो से तीन फसलों का उत्पादन कर सकते हैं। करीब 1830 मीटर लंबा और सौ फिट ऊंची इस बांध के पानी से लगभग 57000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है। इसके अलावा ये भिलाई स्टील प्लांट और नई राजधानी रायपुर को भी पानी प्रदान उपलब्ध कराता है। बांध में 10 मेगावॉट की हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर प्लांट भी काम कर रहा है।

        

ऐसा है यहां का आर्टिफिशियल बीच

करीब 1 किलोमीटर के दायरे में इस आर्टिफिशियल बीच को तैयार किया गया है जो ट्रायबल टुरिज्म सर्किट का हिस्सा है। बांध का यह तट किसी समुद्री तट की तरह नजर आता है और यहां उसी स्तर की सुविधाएं विकसित की गई हैं। यहां एथनिक टूरिस्ट डेस्टिनेशन डेवलपमेंट के अंतर्गत लॉग हट्स, कैफेटेरिया, गार्डन, पगोड़ा, वॉटर स्पोर्ट्स की सुविधा विकसित की गई है। पैरासीलिंग, प्लायबोर्ड, ऑकटेन, जार्बिन बॉल, पी.डब्ल्यू.सी.बाईक, बनाना राईड, सौ सीटर शिप, वॉटर सायकल, कयाक, पायडल बोट्स आदि का लुत्फ सैलानी यहां ले सकते हैं।

क्या है ट्रायबल टूरिस्म सर्किट

भारत सरकार, पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के तहत 'ट्रायबल टूरिस्म सर्किट" में छत्तीसगढ़ के जशपुर-कुनकुरी-मैनपाट-कमलेश्वरपुर-महेशपुर-कुरदर-सरोधादादर-गंगरेल-कोण्डागांव-नथियानवागांव-जगदपुर-चित्रकोट-तीरथगढ़ सहित 13 प्रमुख पर्यटन स्थलों को जोड़ा जाएगा। परियोजना के लिए पर्यटन मंत्रालय द्वारा 99 करोड़ स्र्पये स्वीकृत किए गए हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.