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तेजी से बढ़ रही है ‘स्मार्ट’ दुनिया, भारतीय स्मार्टफोन पर बिताते हैं रोजाना तीन घंटे

उपभोक्ताओं के लिए हालिया वक्त में स्वास्थ्य सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है जिसका असर स्मार्टवाच की बिक्री पर नजर आता है। 2020 की पहली छमाही में पिछले साल की तुलना में राजस्व में 20 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 03:32 PM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2020 03:32 PM (IST)
तेजी से बढ़ रही है ‘स्मार्ट’ दुनिया, भारतीय स्मार्टफोन पर बिताते हैं रोजाना तीन घंटे
सेलफोन से लेकर स्मार्टवाच तक विभिन्न तकनीकी उपकरण हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। हम मोबाइल के बिना रहने की कल्पना तक नहीं कर सकते। सेलफोन से लेकर स्मार्टवाच तक विभिन्न तकनीकी उपकरण हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। एक अनुमान के मुताबिक, साल 2030 तक हर व्यक्ति औसतन 15 अलग-अलग डिवाइस से जुड़ा होगा।

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विजुअल कैपिटलिस्ट ने वैश्विक पर्सनल टेक मार्केट को लेकर आकलन पेश किया है, जिसमें स्मार्टफोन ऑपरेटिंग सिस्टम से लेकर विभिन्न उत्पाद की बाजार हिस्सेदारी के बारे में बताया गया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि स्मार्ट डिवाइसेज की यह दुनिया तेजी से बढ़ रही है।

भारतीय स्मार्टफोन पर बिताते हैं रोजाना तीन घंटे : भारत के आठ शहरों के किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि एक भारतीय औसतन तीन घंटे रोजाना अपने स्मार्टफोन पर बिताता है। हालांकि, मोबाइल फोन अकेला नहीं है, जो हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है। इसके अतिरिक्त कई अन्य एसेसरीज और डिवाइस हैं, जिनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही हैं। शायद यही कारण है कि यह बाजार साल 2020 के आखिर तक 459 अरब डॉलर (करीब 33,655 अरब रुपये) तक का राजस्व प्राप्त कर सकता है।

एंड्रॉयड की 74 फीसद हिस्सेदारी : स्मार्टफोन बिना किसी ऑपरेटिंग सिस्टम के बेकार है। ऑपरेटिंग सिस्टम स्मार्टफोन के तंत्रिका तंत्र की तरह काम करता है। इस बाजार में गूगल के स्वामित्व वाले एंड्रॉयड का दबदबा है, जिसका इस बाजार के 74 फीसद हिस्से पर नियंत्रण है। हुआवे और सैमसंग अपने कई स्मार्टफोन में एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करते हैं। हालांकि, अब हुआवे के नए फोन एंड्रॉयड पर नहीं हैं। जब से चीन की यह दिग्गज कंपनी अमेरिका में ब्लैकलिस्टेड हुई है, उसके बाद से हुआवे एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम के लाइसेंस का ज्यादा वक्त तक इस्तेमाल नहीं कर सकेगी। इसके परिणामस्वरूप हुआवे ने हार्मनी नाम से खुद का ऑपरेटिंग सिस्टम लांच किया है। एपल के ऑपरेटिंग सिस्टम आइओएस की हिस्सेदारी करीब 25 फीसद है।

स्मार्टवाच की बिक्री में एपल आगे : उपभोक्ताओं के लिए हालिया वक्त में स्वास्थ्य सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है, जिसका असर स्मार्टवाच की बिक्री पर नजर आता है। 2020 की पहली छमाही में पिछले साल की तुलना में राजस्व में 20 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है।

स्मार्टफोन बाजार में सैमसंग-हुआवे आगे : दुनिया के 70 फीसद लोगों के पास 2025 तक स्मार्टफोन होंगे। वर्तमान में हुआवे और सैमसंग वैश्विक बाजार में 20-20 फीसद की हिस्सेदारी है। हुआवे मुख्य रूप से अपने देश चीन में असर रखती है, जहां 50 फीसद स्मार्टफोन की बिक्री उसी की होती है। इसी तरह सैमसंग का अपने देश दक्षिण कोरिया में अच्छा प्रभाव है, जहां स्मार्टफोन बाजार के 67 फीसद पर उसका कब्जा है। इन दोनों के बाद एपल का नंबर आता है, जो कि इनसे कुछ ही पीछे है। अमेरिका में करीब 46 फीसद बाजार पर कंपनी का नियंत्रण है। एपल अमेरिका की तरह दुनिया के दूसरे देशों में इतनी सफल नजर नहीं आती है क्योंकि भारत जैसे देश में करीब 90 फीसद स्मार्टफोन की कीमत करीब 300 डॉलर (करीब 22 हजार रुपये) है, जबकि आइफोन की शुरुआती कीमत ही इससे काफी ज्यादा है।


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